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This Article is From Dec 05, 2016

सर्दियों में बदलते मौसम के दौरान खुद को यूं बचाएं...

सर्दियों में बदलते मौसम के दौरान खुद को यूं बचाएं...
नई दिल्ली: सर्दियों में लोगों को मौसम के बदलने से कई समस्याएं होती हैं, जिसमें जुखाम और फ्लू सबसे संक्रमित बीमारियां हैं। ठंडी हवा, ढंग से कपड़ा न पहनना, ठंडे काद्य पदार्थों को खाने में शामिल करना आदि चीज़ों से लोग खी बीमारियों से घिर जाते हैं। इसके अलावा हवा में भी नमी मौजूद होती है, जिसके जरिए लोगों को सीने में जकड़न और खांसी की शिकायत रहती है।

सर्दियों में खासी का संक्रमण तेज़ी से फैल सकता है और यह दूसरों को काफी आसानी से संक्रमित भी कर सकता है। 80 प्रतिशत संक्रमण सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से फैलता है। ऐसा देखा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले ज़्यादातर लोग खांसी, छाती जमने, गला खराब होने और जुखाम के दूसरे लक्षणों के ही शिकार होते हैं।

जानें डॉक्टर की राय...

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि “जब हम खांसते या छींकते हैं, तो सांस प्रणाली में मौजूद गंदगी को बाहर निकालते हैं, जो बेहद महीन बूंदें भी हो सकती हैं। ये हवा युक्त नमी के कण भी हो सकते हैं, जो पांच माइक्रोन से भी छोटे होते हैं। दोनों के अपने-अपने प्रभाव होते हैं”।

उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि “नमी के ये कण कुछ ही समय के लिए हवा में रहते हैं और तीन फीट से कम दूरी में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से सांस प्रणाली द्वारा संक्रमण फैलते हैं। फ्लू के मामले में यह छह फीट हो सकता है। मेनिन्गितिस, रूबेला आदि नमी युक्त कणों से होने वाले संक्रमण के उदाहरण हैं”।

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, घरेलू स्वच्छता के मद्देनजर जिन घरों में खिड़कियां खुली रहती हैं, वहां पर हवा लगातार साफ होती रहती है, जो संक्रमण को फैलने से रोकने में मददगार साबित हो सकती है। लेकिन, एसी वाले कमरे, जहां शुद्ध हवा नहीं आती, संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है। ख़ासकर सर्दियां अधिक होने पर संक्रमण को रोकने के लिए कार्यस्थल पर स्वच्छता भी अहम होती है।

उन्होंने कहा कि “कार्यस्थलों पर जहां स्प्लिट एसी होते हैं, वहां अगर एक व्यक्ति को संक्रमण है, तो यह दूसरे व्यक्ति तक बहुत ही आसानी से फैल सकता है। इसलिए टीबी, मीज़ल्स (खसरा), चिकनपॉक्स और सारस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को स्प्लिट एसी वाली जगहों पर नहीं बैठना चाहिए”।

डॉ. अग्रवाल का मानना है कि छह से 10 फीट तक दूरी वाले व्यक्ति को किसी सावधानी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन स्वस्थ व्यक्ति, जो संक्रमित व्यक्ति के पास तीन से छह फीट के दायरे में है, उसे सामान्य मास्क पहनना चाहिए। टीबी, मीज़ल्स, चिकनपॉक्स और सारस के पीड़ित इस श्रेणी के संक्रमण में आते हैं और इन्हें आइसोलेशन रूम में रखना चाहिए। वहीं, जो लोग उनकी देखभाल कर रहे हों, उन्हें एन95 मॉस्क पहनना चाहिए।

फ्लू के समय इन बातों का रखें ध्यान

अगर कोई व्यक्ति बीमार हों या आप खुद बीमार हों, तो दूसरों के ज़्यादा पास जानें से बचें। बीमार होने पर घर पर रह कर आराम करें और दूसरों को संक्रमण से बचाएं। अपनी नाक और मुंह को ढककर रखें। साबुन या एंटीबायोटिक लोशन से अपने हाथ बार-बार धोएं। सार्वजनिक स्थानों पर सतहों को छूने से परहेज करें। अपने चेहरे को बार-बार हाथ न लगाएं।

(इनपुट्स आईएएनएस से)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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