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This Article is From Sep 13, 2023

Chhath Puja 2023: कब है छठ पूजा, जानिए तिथि और इस महापर्व पर बनने वाले विशेष प्रसाद ठेकुआ बनाने की रेसिपी

Chhath Puja 2023: पूरे चार दिन चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को नहाए खाए से होती है. अगले दिन यानी पंचमी को खरना और पष्ठी को अस्ताचल सूर्य नमन और सप्तमी को उदयादन सूर्य नमन के साथ यह महापर्व पूरा होता है.

Chhath Puja 2023: कब है छठ पूजा, जानिए तिथि और इस महापर्व  पर बनने वाले विशेष प्रसाद ठेकुआ बनाने की रेसिपी
छठ पूजा का महत्व और तिथि.

Chhath Puja 2023: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के पष्ठी तिथि को सूर्य अराधना का महापर्व छठ (Chhath Puja) मनाया जाता है. इस दिन अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जबकि अगली सुबह उदयाचल सूर्य देव (Lord Surya) को अर्घ्य दिया जाता है. पूरे चार दिन चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को नहाए खाए से होती है. अगले दिन यानी पंचमी को खरना और पष्ठी को अस्तांचल सूर्य नमन और सप्तमी को उदयादन सूर्य नमन के साथ यह महापर्व पूरा होता है. आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा की तिथि (Date of Chhath Puja ) और महत्व…

छठ पूजा की तिथि (Chhath Puja 2023 Date)

इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के पष्ठी तिथि 19 नवबंर रविवार को है. इसलिए इन तिथियों को छठ महावर्प मनाया जाएगा

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  • 17 नवंबर शुक्रवार को नहाए खाए.
  • 18 नवंबर शनिवार को खरना.
  • 19 नवंबर रविवार को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य.
  • 20 नवंबर सोमवार को उदयाचल सूर्य को अर्घ्य, समापन और पारण.

छठ पूजा विधि (Chhath Puja 2023 puja tithi)

नहाय खाए

छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाए से होती है. इस दिन व्रत रखने वाले स्नान के बाद सूर्य देव का ध्यान करते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं. इस दिन से व्रती सात्विक भोजन ग्रहण करने लगते हैं इसमें दाल चावल और लौकी की सब्जी होती है. यह भोजन बगैर लहसुन प्याज के तैयार किया जाता है.

खरना

दूसरे दिन खरना के लिए व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद पास स्थित किसी नदी या तालाब में डुबकी लगाते हैं. दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद संध्या में प्रसाद के लिए गुड़ और चावल की खीर और रोटी बनाई जाती है और व्रती उसे ग्रहण करते हैं. खरना के दिन छठ पूजा के लिए प्रसाद में चढ़ाया जाने वाला ठेकुआ तैयार किया जाता है.

अस्ताचल सूर्य का अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पष्ठी तिथि को छठ माता की पूजा अर्चना के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

उदयाचल सूर्य को अर्घ्य

महापर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ चार दिन चलने वाला छठ समाप्त हो जाता है.

छठ पूजा का महत्व (Chhath puja importace)

छठ महापर्व से कई कथाएं जुड़ी हैं. मान्यता है कि द्रौपदी ने पांचों पांडव भाइयों के साथ अपने राज्य को फिर प्राप्त करने के लिए छठ का व्रत रखा था. यह भी माना जाता है कि सूर्य पूत्र कर्ण ने इस पूजा को शुरू किया था. इस व्रत में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर अपने परिवार के लिए सुख समद्धि की कामना करती है.

छठ पूजा विशेष प्रसाद (Chhath puja Bhog)

छठ में आटे और गुड़ से विशेष प्रसाद ठेकुआ तैयार किया जाता है. इसके लिए शुद्धता का पूरा ध्यान रखकर गेहूं से आटा पिसवाने के बाद उसे गुड़ की चाशनी से गूंथा जाता है. ठेकुआ बनाने वाले सांचे पर इसे ठोक कर, इसे ठेकुए का आकार दिया जाता है और फिर घी में तला जाता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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