दुनिया कई प्रकार के फलों से भरपूर है, जिनमें से हर एक यूनिक फ्लेवर, टेक्सचर और पोषण संबंधी लाभ प्रदान करता है, एशिया के ट्रोपिकल फ्रूट से लेकर उत्तरी अमेरिका के जामुन तक, नेचर ने एक रिच वैराइटी प्रदान की है जो दुनिया भर के कई रेंज को पसंद आती है. इन सभी फलों में से, दुर्लभ फल चीजों को दिलचस्प बनाते हैं. तिब्बत का काला हीरा सेब (black diamond apple), फलों में एक अनोखा रत्न है. अपने गहरे, गहनों जैसे दिखने और क्रि्स्प, खट्ट-मीठे टेस्ट के साथ, यह दुर्लभ है. आश्चर्यजनक रूप से 500 रुपये प्रति पीस की कीमत पर, यह गहरे रंग का चमत्कार स्पेशली तिब्बत, चीन में निंगची के पहाड़ी क्षेत्र से उत्पन्न होता है. लेकिन इस सेब को इतना मूल्यवान क्या बनाता है?
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Apples are generally red, green, yellow, but if the right geographical conditions are met, they can apparently grow dark purple, almost black, as well.
— Massimo (@Rainmaker1973) November 16, 2023
These rare apples are called Black Diamond and they are currently only grown in the mountains of Tibet. pic.twitter.com/j4XXrDlS4X
ब्लैक डायमंड सेब के हर पीस की कीमत इसकी सीमित उपलब्धता और स्पेशल डिस्ट्रिब्यूशन के कारण बताई जाती है. यह केवल चीन में महंगे अपस्केल रिटेलर द्वारा बेचा जाता है. इसे खरीदना कठिन हो सकता है, क्योंकि एक व्यक्ति कितने पीस प्राप्त कर सकता है इसकी एक सीमा है, जिससे स्लरर्प के अनुसार इसे ढूंढना सबसे कठिन सेबों में से एक है. ब्लैक डायमंड एप्पल असाधारण रूप से मीठा होता है, जिसमें हाई नेचुरल ग्लूकोज कंटेंट होता है. इसकी मोटी त्वचा इसे चमकदार रूप और क्रिस्पी टेक्सचर देती है. अपने नाम के बावजूद, इस सेब का रंग बैंगनी और गूदा सफेद है. हिमालयी शहर निंगची में उगाए गए, एक्सपर्ट इस क्षेत्र के रात के तापमान परिवर्तन और प्रचुर मात्रा में पराबैंगनी प्रकाश को यूनिक रंग का श्रेय देते हैं. इन कारकों के कारण सेब की स्किन रिच, ब्लैक होती है. इसे केवल तिब्बत में ही उगाया जा सकता है क्योंकि तिब्बत की जलवायु और तापमान को दुनिया भर के अन्य स्थानों में दोहराना कठिन है.
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ब्लैक डायमंड एप्पल उगाना एक धीमी प्रक्रिया है. इन्हें पकने में लगभग 8 साल लगते हैं, जो सामान्य सेबों की तुलना में बहुत अधिक है, जिन्हें केवल 2-3 साल लगते हैं. खड़ी पहाड़ी ढलानों के कारण किसानों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे बड़े पैमाने पर इन सेबों की खेती करना कठिन हो जाता है. कटाई का मौसम केवल दो महीने का होता है, अक्टूबर के आसपास, और तब भी, सभी सेब क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरे नहीं उतरते. काटे गए सेबों में से केवल 30% ही निरीक्षण में पास हो पाते हैं और बाजार में पहुंच पाते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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