Navratri 2021 and Navratri Colours: शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है. नवरात्रि का मतलब है नौ रातें. कितने दिन के पड़ रहे शारदीय नवरात्रि 2021 (Shardiya Navratri 2021) यह सवाल इस बार खूब पूछा जा रहा है, क्योंकि इस बार यह सवाल नवरात्र सिर्फ आठ ही दिन का है. नवरात्र के नौ रंगों का जिक्र हर नवरात्र में होता है. इसके साथ ही दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना के लिए हर कोई उनके पंसद के भोग और पूजा विधि को जानना चाहता है. यह त्यौहार अश्विन के महीने (Ashvin) में मनाया जाता है. नवरात्र में लोगों को हर तरफ से शुभकामनाएं मिलती हैं. इस मौके पर सभी दोस्त एक दूसरे को मैसेज भेजते (Navratri Messages, Happy Navratri Wishes) हैं और मां को याद करते हैं.
कब-कब है कौन सा नवरात्र
7 अक्टूबर, 2021 (गुरुवार) यानी आज से शुरू हुए नवरात्र का समापन 15 अक्तूबर को होगा. जैसा कि बीते साल के त्योहारों पर कोरोना का असर रहा था ठीक वैसे ही इस साल भी कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखा गया है. कोरोना संक्रमण में मदद्देनजर ज्यादतर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
इस साल आठ नवरात्र क्यों हैं
पं० निरंजन शर्मा झा (हरिद्धार) ने बताया कि हमेशा नवरात्रि नौ दिनों की होती है, लेकिन इस साल एक तिथि का क्षय हो रहा है. इसका मतलब है कि दो तिथियां एक ही दिन हैं. नौ अक्तूबर को तृतीया व चतुर्थी तिथि दोनों ही होंगी. ऐसे में इस बार नवरात्र आठ दिन के होंगे.
नवरात्र और दुर्गा मां के नौ रूप
नवरात्र में मां के नौ रूपों को पूजा जाता है. जानते हैं इन रूपों के बारे में-
पहले दिन - प्रथम नवरात्र में मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है.
दूसरे दिन - द्वितीय नवरात्र में मां ब्रहाचारिणी का पूजन किया जाता है.
तीसरे दिन - तृतीय नवरात्र में मां चन्द्रघण्टा का पूजन किया जाता है.
चौथे दिन - चतुर्थ नवरात्र में कूष्माण्डा का पूजन किया जाता है.
पांचवे दिन - पंचम नवरात्र में मां स्कन्दमाता का पूजन किया जाता है.
छठे दिन - षष्ठ नवरात्र में मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है.
सातवें दिन - सप्तम नवरात्र में मां कालरात्री का पूजन किया जाता है.
आठवें दिन- अष्टम नवरात्र में मां महागौरी का पूजन किया जाता है.
नौंवे दिन- नवम् नवरात्र में मां सिद्विदात्री का पूजन किया जाता है.
नवरात्र में कैसे रखें व्रत - Navratri Fast
पूजा वाले दिन भक्त सुबह जल्द उठकर शाम तक उपवास करते हैं, उसके बाद फल और मिठाई खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं. दोपहर के समय में देवी को पारंपरिक भोग जिसमें खिचड़ी, पापड़, मिक्स वेजिटेबल, टमाटर की चटनी, बैंगन भाजा के साथ रसगुल्ला भोग लगाया जा सकता है.
Navratri 2021 and Navratri Colours: कितने दिन के पड़ रहे शारदीय नवरात्रि 2021 (Shardiya Navratri 2021) यह सवाल इस बार खूब पूछा जा रहा है
नवरात्र में भोग और खास आहार
देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा के दौरान उनके हर अवतार की पसंद के अनुसार ही भोग तैयार किया जाता है. हम आपको बता रहे हैं कि किस दिन आप कौन सा भोग तैयार कर सकते हैं.
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के लिए भोग
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माना जाता है शुद्ध देसी घी का भोग लगाने से यह प्रसन्न होती हैं.
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के लिए भोग
नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी को सादा भोजन पसंद है. इसलिए भक्त देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और फलों का भोग लगाते हैं.
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के लिए भोग
देवी का तीसरा रूप चंद्रघंटा का है. मान्यता के अनुसार देवी के इस स्वरूप को दूध, मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है.
नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा के लिए भोग
चौथे दिन मां कुष्मांडा की अराधना की जाती है. मान्यता के अनुसार देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त मालपुए का भोग लगाते हैं.
नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता के लिए भोग
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है, इस दिन को पंचमी भी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार इन्हें केले का भोग लगाया जाता है.
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यानी के लिए भोग
नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यानी का पूजन होता है. भक्त देवी कात्यानी को प्रसाद के रूप में शहद चढ़ाते हैं.
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि के लिए भोग
सातवें दिन देवी कालरात्रि का पूजन किया जाता है. मान्यता के अनुसार इन्हें गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाते हैं.
नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी दुर्गा के लिए भोग
अष्टमी या नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है.
नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के लिए भोग
नवरात्रि के आखिरी दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है. नवरात्रि के नौवें दिन, देवी को तिल का भोग लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी को तिल का भोग लगाने से परिवार को सुख-शांति मिलती है और दुर्घटनाओं से बचाती हैं.
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