मुंबई:
फिल्म 'बोल बच्चन' में अजय देवगन हैं गांव के धनवान और ताकतवर शख्स़ पृथ्वीराज। जबकि अभिषेक बच्चन हैं इस गांव में आए… मुसीबत के मारे अब्बास।
पृथ्वीराज अब्बास को नौकरी दे देता है लेकिन अब्बास इतनी मुश्किल में फंसा होता है कि पृथ्वीराज को अपना झूठा नाम बता देता है। पृथ्वीराज को झूठ से नफ़रत है इस डर से अब्बास झूठ पर झूठ बोलता चला जाता है। पहले वह मूंछ निकालकर पृथ्वीराज के सामने अपना हमशक्ल भाई पेश करता है फिर झूठी मां फिर सौतेले भाई की मां।
बोल बच्चन 1979 की यादगार कॉमेडी गोलमाल की रीमेक है लेकिन बोल बच्चन गोलमाल की बराबरी नहीं कर पाई।
गोलमाल में अमोल पालेकर ने बड़ी आसानी से कॉमेडी की लेकिन पालेकर से इंस्पायर्ड केरेक्टर में अभिषेक बच्चन की कोशिश साफ झलकती है।
बोल बच्चन की बदली हुई कहानी और सेटअप में वास्तविकता के बजाय नाटकीयता ज़्यादा दिखती है। क्यों कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले अब्बास वकील को अपना केस बता रहा है। एक्शन सीन्स वैसे ही हैं जैसे रोहित शेट्टी की ट्रेडमार्क फिल्मों में दिखता आया है। लेकिन पहलवानी और अंग्रेज़ी बोलने के शौकीन अजय देवगन ने अर्चना पूरन सिंह और नीरज वोरा के साथ मिलकर दमदार कॉमेडी की।
अजय का यह रोल गोलमाल के उत्पल दत्त से इंस्पायर्ड है। टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में लिखे गए देवगन के डायलॉग्स खूब हंसाते हैं। एक डायलॉग सुनिए… 'your eardrums are playing drums' (लगता है तुम्हारे कान बज रहे हैं) लेकिन जब-जब फिल्म अभिषेक बच्चन, आसिन, असरानी और प्राची देसाई के पास जाती है तो यह मुरझाने लगती है।
बोल बच्चन क्लास…नहीं बल्कि मास यानी आम आदमी की फिल्म है। अजय देवगन की कॉमेडी के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
पृथ्वीराज अब्बास को नौकरी दे देता है लेकिन अब्बास इतनी मुश्किल में फंसा होता है कि पृथ्वीराज को अपना झूठा नाम बता देता है। पृथ्वीराज को झूठ से नफ़रत है इस डर से अब्बास झूठ पर झूठ बोलता चला जाता है। पहले वह मूंछ निकालकर पृथ्वीराज के सामने अपना हमशक्ल भाई पेश करता है फिर झूठी मां फिर सौतेले भाई की मां।
बोल बच्चन 1979 की यादगार कॉमेडी गोलमाल की रीमेक है लेकिन बोल बच्चन गोलमाल की बराबरी नहीं कर पाई।
गोलमाल में अमोल पालेकर ने बड़ी आसानी से कॉमेडी की लेकिन पालेकर से इंस्पायर्ड केरेक्टर में अभिषेक बच्चन की कोशिश साफ झलकती है।
बोल बच्चन की बदली हुई कहानी और सेटअप में वास्तविकता के बजाय नाटकीयता ज़्यादा दिखती है। क्यों कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले अब्बास वकील को अपना केस बता रहा है। एक्शन सीन्स वैसे ही हैं जैसे रोहित शेट्टी की ट्रेडमार्क फिल्मों में दिखता आया है। लेकिन पहलवानी और अंग्रेज़ी बोलने के शौकीन अजय देवगन ने अर्चना पूरन सिंह और नीरज वोरा के साथ मिलकर दमदार कॉमेडी की।
अजय का यह रोल गोलमाल के उत्पल दत्त से इंस्पायर्ड है। टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में लिखे गए देवगन के डायलॉग्स खूब हंसाते हैं। एक डायलॉग सुनिए… 'your eardrums are playing drums' (लगता है तुम्हारे कान बज रहे हैं) लेकिन जब-जब फिल्म अभिषेक बच्चन, आसिन, असरानी और प्राची देसाई के पास जाती है तो यह मुरझाने लगती है।
बोल बच्चन क्लास…नहीं बल्कि मास यानी आम आदमी की फिल्म है। अजय देवगन की कॉमेडी के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं