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This Article is From Feb 03, 2012

रिव्यू : खूब हंसाएगी 'गली-गली चोर है'

मुंबई: फिल्म 'गली गली चोर है' रिलीज हो गई। अक्षय खन्ना बैंक कैशियर भारत बने हैं जो चुनाव में एक एमएलए को अपने घर का कमरा ऑफिस के रूप में देने से मना कर देता है।

फिर क्या….पुलिस झूठा केस बनाकर भारत पर दबाव डालती है कि वह सालों पहले चोरी हुआ पंखा कोर्ट में जाकर ले ले। अब पंखा लेते-लेते भारत की हालत खस्ता हो जाती है। रिश्वत में हजारों रुपये फूंक देता है सो अलग लेकिन पढ़ा-लिखा कैशियर पंखा लेने से मना करके मुसीबत से बच क्यों नहीं जाता। इस सवाल में उलझे तो कॉमेडी का मजा नहीं ले पाएंगे।

राइटर डायरेक्टर रूमी जाफरी की ये पोलिटिकल सटायर फर्स्ट हाफ में जबर्दस्त डायलॉग्स के साथ हंसाती है। रामलीला में बेहतरीन कॉमेडी है। भारत को हमेशा हनुमान का रोल मिलता है क्योंकि राम का रोल एमएलए के भाई के लिए रिजर्व है। खुन्नस निकालने के लिए रस्सी काटकर हनुमान को नीचे गिरा दिया जाता है। करेक्टर्स के गेटअप देखकर ही हंसी आती है चाहे मुंह पर लाली पोते हनुमान हों या एमएलए का बदमाश भाई। अक्षय खन्ना, अन्नू कपूर, मुरली और अमित मिस्त्री के अच्छे परफॉरमेंस। आंख सेंकने वालों के लिए वीना मलिक का आइटम नंबर भी है।

हालांकि सेकेंड हाफ में कॉमिक एलिमेंट्स की कमी है। श्रेया सरन और मुग्धा गोडसे शोपीस बनकर रह गईं। फिल्म तभी खत्म कर देनी थी जब क्लाइमैक्स पर आम आदमी नेता को थप्पड़ मारता है लेकिन यहां वह आजाद घूमता दिखता है।  बहरहाल, 'गली गली चोर है' यह बताने में कामयाब है कि सिस्टम के दांवपेंच में उलझ कर आम आदमी की हालत क्या हो जाती है? फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार्स।

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Gali Gali Chor Hai Film, गली-गली चोर है, REVIEW, विजय वशिष्ठ, विजय दिनेश वशिष्ठ, Vijay Dinesh Vashishtha
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