'युवराज' की पदवी से निकलकर राहुल गांधी आम लोगों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं. हाल के दिनों में जिस तरीके से राहुल गांधी ने विपक्ष पर हमला करते हुए आम लोगों के सरोकार से जुड़े मुद्दों को लोगों के बीच रखा, उससे विपक्ष को भी हैरानी होने लगी. जब राहुल गांधी मंच से जीएसटी का मतलब 'गब्बर सिंह टैक्स' बताते हैं, तो विपक्ष को भले ही हैरानी होती है, लेकिन आम लोगों को यह 'फुल फॉर्म' अपना-सा लगता है. छोटे-छोटे व्यापारों से जुड़े लोगों को लगता है कि राहुल गांधी उनकी आवाज़ बन रहे हैं. जब वह मंच से कहते हैं कि गुजरात अनमोल है, इसे कोई नहीं खरीद सकता, तो गुजरातियों को लगता है कि वह उनकी आवाज़ है. कुल मिलाकर राहुल गांधी गुजरात विधानसभा चुनाव से लेकर दूसरे राज्यों में होने वाले चुनावों को लेकर ज़्यादा ही उत्साहित हैं. कारण भी है, अगर इन उन्हें इन चुनावों में सफलता मिलती है, तो वह निश्चित रूप से अपनी पार्टी में मजबूत होंगे और इसका फायदा उनकी पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भी होगा.
क्या हो सकते हैं फायदे...
- नोटबंदी, GST जैसे मुद्दों पर वह जनता की आवाज़ बनकर उभर रहे हैं. अगर सफल रहे तो मजबूत पार्टी अध्यक्ष एवं मजबूत नेता - दोनों बनकर उभरेंगे.
- युवाओं को नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा काफी अहम है. सरकार ने प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राहुल गांधी इस मुद्दे को मजबूती से उठा रहे हैं, और अगर यह मुद्दा काम आ गया तो राहुल और मजबूत होंगे.
- राहुल गांधी अपने भाषण में विचारधारा की बात करते हैं और कांग्रेस की भी यही कोशिश है कि चुनावी अभियान विचारधारा और मुद्दों पर ही बना रहे. अगर राहुल इसमें कामयाब रहते हैं, तो इसका फायदा उन्हें ज़रूर मिलेगा.
- गुजरात के पाटीदारों को अपने साथ एक मंच पर लाने में कांग्रेस लगभग सफल हो रही है. इसमें राहुल गांधी की भूमिका काफी अहम है. अगर पाटीदारों की BJP से नाराज़गी को भुनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो यह राहुल की बड़ी सफलता होगी.
- राहुल गांधी एक मुद्दे के साथ कुछ समय तक बने रहते हैं, फिर उससे ब्रेक ले लेते हैं, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के मामले में वह लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं. अगर वह ब्रेक लेने की अपनी आदत पर ब्रेक लगा लें, तो कांग्रेस को सत्तापक्ष को चुनौती देने वाला मजबूत नेता मिल जाएगा.