दिल्ली गैंगरेप के 6 में से 1 किशोर अपराधी की रिहाई को रुकवाने के लिए दिल्ली महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के प्रति अपना कंसर्न जताने के बावजूद रिहाई न रोके जाने में 'असमर्थता' जताई।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या-क्या अहम बातें कहीं
कानूनन तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं दे सकते। इसके लिए विधायिका का कानून बनाना जरूरी है।
आप कह रहे हैं कि जब तक न सुधरे, तब तक रिहा न किया जाए लेकिन सुधार होने में दस साल तक लग सकते हैं। ऐसे में क्या यह दोषी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किस अधिकार से उसे रोक सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि आपने कोई कानून नहीं बनाया लेकिन यहां रिहाई रोके जाने का समर्थन कर रहे हैं।
जो भी कुछ होना है, वह कानून के मुताबिक ही होना है। हमें कानून का पालन करना ही होगा।