
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
शिंदे गुट की ओर से वकील नीरज कौल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. शिदे गुट शिवसेना नहीं छोड़ रहे. ठाकरे गुट के पास सिर्फ 14 विधायक हैं, जबकि शिंदे गुट के पास 39 विधायकों का बहुमत है.
नीरज कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फ्लोर टेस्ट में तभी देरी हो सकती है जब हिंसा का माहौल हो, लेकिन इस मामले में हिंसा का शिकार वो हैं, जो फ्लोर टेस्ट चाहते हैं. कौल ने जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही.
सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के विधायक कौल से पूछा कि कितने विधायक असंतुष्ट हैं. इस पर कौल ने कहा कि 39 विधायक असंतुष्ट है. जज ने पूछा - कितने में? इस पर कौल ने कहा 55 विधायकों में साहब.
सुनवाई कर रहे जज ने कौल से पूछा कि कितने विधायकों को अयोग्यता नोटिस मिला है. इस पर कौल ने कहा कि 16 विधायकों को नोटिस मिला है.
कौल ने अपनी दलील में कोर्ट से कहा कि राज्यपाल को सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना होता है और उनका फैसला न्यायिक समीक्षा के अधीन होता है. लेकिन राज्यपाल का भी एक संवैधानिक अधिकार है. कोर्ट को उस स्थिति को देखना होगा, जिसमें उन्होंने कार्रवाई की है. कौल ने कहा कि जो मांग की गई है वह गैरकानूनी है.
कौल ने कहा कि सरकार को जब लगा वो अल्पमत में आ गई तो डिप्टी स्पीकर का इस्तेमाल करके अयोग्यता का नोटिस भेजना शुरू कर दिया. इस आधार पर फ्लोर टेस्ट कैसे रोका जाए.
कौल ने कहा, अगर स्पीकर के खिलाफ पद से हटाने के लिए प्रस्ताव का नोटिस लंबित है तो संवैधानिक रूप से दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला लेने में स्पीकर सही नहीं होगा. ऐसा अरुणाचल प्रदेश के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है.
कौल ने कोर्ट से कहा कि शिवसेना की बहस सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से बिल्कुल उलट है, क्योंकि ये कह रहे हैं कि जब तक अयोग्यता पर फैसला न हो जाये तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता.
कौल ने कहा जितना अधिक आप फ्लोर टेस्ट में देरी करेंगे, उतना ही अधिक नुकसान और हिंसा हो सकती है. इससे संविधान और लोकतंत्र को नुकसान होगा. हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट जरूरी है.
कौल ने कहा कि ये लोग जानबूझकर अयोग्यता को फ्लोर टेस्ट से जोड़ रहे हैं. विधायकों द्वारा लिखे गए पत्रों की सत्यता पर बेवजह सवाल उठा रहे हैं. चीफ व्हिप का मामला पार्टी का आंतरिक निर्णय है. इससे फ्लोर टेस्ट का आदेश तय नहीं होता है.