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'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में एक सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- ये PUBG वाला है क्या, 10 अहम बातें

पीएम मोदी ने अभिभावकों को भी सलाह दी और कहा कि बच्चों पर अपने सपने न थोपें क्योंकि दबाव में बच्चे बिखर जाते हैं. अगर बच्चा असफल भी होता है तो मां-बाप उनका हौसला बढ़ाएं. सोशल स्टेटस की वजह से दबाव न पालें.

पीएम मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में छात्रों से संवाद किया

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश भर के दो हज़ार से ज़्यादा छात्रों से रूबरू हुए. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में पीएम मोदी परीक्षार्थियों को तनाव से उबरने का मंत्र दिया. प्रधानमंत्री ने कहा परीक्षा का महत्व है, लेकिन अगर हम ये सोचें कि यह ज़िंदगी की परीक्षा नहीं है तो हमारा भार कम हो जाएगा. इस परीक्षा के बाहर भी ज़िंदगी है. परीक्षा को एक अवसर मानें और इसका आनंद उठाएं. एक सवाल के जवाब में दौरान एक महिला अभिभावक ने पीएम मोदी को बताया कि पहले मेरा बेटा पढ़ाई में ठीक था, लेकिन आजकल ऑनलाइन गेम्स की वजह से वो कमज़ोर हो गया है. इस पर तुरंत पीएम मोदी ने कहा, 'ये PUBG वाला है क्या'. पीएम के इस जवाब पर पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा. प्रधानमंत्री ने अभिभावकों को भी सलाह दी और कहा कि बच्चों पर अपने सपने न थोपें क्योंकि दबाव में बच्चे बिखर जाते हैं. अगर बच्चा असफल भी होता है तो मां-बाप उनका हौसला बढ़ाएं. सोशल स्टेटस की वजह से दबाव न पालें.

'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में पीएम मोदी की 10 बड़ी बातें

  1. कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ निपटते हैं, उस पर निर्भर करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है. ​
  2. अभिभावकों को अपने बच्चों को टेक्नॉलजी के सही इस्तेमाल के बारे में जानकारी देनी चाहिए. तभी बच्चे प्ले स्टेशन छोड़कर प्ले ग्राउंड की ओर जाएंगे. 
  3. जिंदगी का मतलब ठहराव नहीं है, जिंदगी का मतलब ही होता है गति.
  4. लोग कहते हैं मोदी ने बहुत आकांक्षाएं जगा दी हैं, मैं चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की सवा सौ करोड़ आकांक्षाएं होनी चाहिए.
  5. हमें आकांक्षाओं को उजागर करना चाहिए, देश तभी चलता है. अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए। हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए.
  6. निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा उर्ध्व गति के लिए अनिवार्य होती है.
  7. लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो.  जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी. 
  8. कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ निपटते हैं, उस पर निर्भर करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है.
  9. बच्चों पर कभी उम्मीदों को नहीं थोपा जाना चाहिए, अभिभावकों को समझना चाहिए अपने बच्चों के अंदर की संभावनाओं को पहचानना चाहिए.
  10. देश के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज हमारे बीच नहीं रहे. वह एक गतिशील नेता थे. उन्होंने आपातकाल के दौरान पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी. मैं उनको श्रद्धांजलि देता हूं.

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