स्वामीनाथन कमेटी ने 2004 से 2006 के बीच कुल पांच रिपोर्ट सौंपी थी.
नई दिल्ली:
दिल्ली में किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया है. राजधानी कूच करने वाले किसान दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर अपनी 15 सूत्रीय मांगों के साथ धरने पर बैठे थे. जिसमें बिजली और डीजल की दरों में रियायत, किसानों को सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा और 10 साल से ज्यादा पुराने ट्रैक्टरों के इस्तेमाल की छूट के साथ-साथ स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करना शामिल था. देश में जब-जब किसानों का प्रदर्शन होता है और वे सड़क पर आते हैं तब-तब स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों की चर्चा होती है. आइये आपको बताते हैं स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें क्या हैं.
- किसानों की तमाम समस्याओं और विभिन्न पहलुओं के लिए हरित क्रांति के जनक प्रो. एम एस स्वामीनाथन की अगुवाई में नवंबर 2004 में एक कमेटी बनी, जिसे राष्ट्रीय किसान आयोग के नाम से भी जाना जाता है. इस कमेटी ने अक्टूबर 2006 में अपनी रिपोर्ट दे दी. जिसमें खेती-किसानी में सुधार के लिए तमाम बातें कही गई थीं.
- स्वामीनाथन कमेटी ने जो सबसे प्रमुख सिफारिश की वो यह थी कि कृषि को राज्यों की सूची के बजाय समवर्ती सूची में लाया जाए. ताकि केंद्र व राज्य दोनों किसानों की मदद के लिए आगे आएं और समन्वय बनाया जा सके.
- कमेटी ने बीज और फसल की कीमत को लेकर भी सुझाव दिया. कमेटी ने कहा कि किसानों को अच्छी क्वालिटी का बीज कम से कम दाम पर मुहैया कराया जाए और उन्हें फसल की लागत का पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम मिले.
- स्वामीनाथन कमेटी ने कहा कहा कि अच्छी उपज के लिए किसानों के पास नई जानकारी का होना भी जरूरी है. ऐसे में देश के सभी गांवों में किसानों की मदद और जागरूकता के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल की स्थापना की जाए. इसके अलावा महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की जाए.
- कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भूमि सुधारों पर भी जोर दिया और कहा कि अतिरिक्त व बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांट दिया जाए. इसके अलावा कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए गैर-कृषि कार्यों को लेकर मुख्य कृषि भूमि और वनों का डायवर्जन न किया जाए. कमेटी ने नेशनल लैंड यूज एडवाइजरी सर्विस का गठन करने को भी कहा.
- आंदोलन करने वाले किसान सामाजिक सुरक्षा की भी मांग कर रहे हैं. आपको बता दें कि स्वामीनाथन कमेटी ने भी किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाने की सिफारिश की थी, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके.
- कमेटी ने छोटे-मंझोले किसानों को लेकर भी बड़ी सिफारिश की थी और कहा था कि सरकार खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था करे, ताकि गरीब और जरूरतमंद किसानों को कोई दिक्कत न हो.
- कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ सिफारिश की थी कि किसानों के कर्ज की ब्याज दर 4 प्रतिशत तक लाई जाए और अगर वे कर्ज नहीं दे पा रहे हैं तो इसकी वसूली पर रोक लगे.