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जानिए- क्‍या है हल्‍द्वानी अतिक्रमण मामला, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल 4000 घरों पर बुलडोजर चलाने से लगाई रोक

हल्‍द्वानी के बनभूलपुरा इलाक़े में गफ़ूर बस्ती और उसके आसपास की क़रीब 29 एकड़ ज़मीन पर 4000 से ज़्यादा मकानों को गिराए जाने के उत्‍तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. आइए आपको बताते हैं, मामले से जुड़ी कुछ अहम बातें.

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उत्‍तराखंड हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुल 6 याचिकाएं दाख़िल हुई
New Delhi:

उत्तराखंड के हल्द्वानी में हज़ारों लोगों के दिल की धड़कनें आज बढ़ी हुई थीं, क्योंकि उनके आशियाने को लेकर आज बड़ा दिन है. अब इन हजारों लोगों ने राहत की सांस ली है. रेलवे की ज़मीन को खाली कराने के ख़िलाफ़ दाख़िल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं. वहां और अधिक कब्जे पर रोक लगे. फिलहाल हम हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी. आइए आपको बताते हैं, क्‍या है पूरा मामला. 

  1. उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की ज़मीन पर अवैध कब्ज़े को हटाने को लेकर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने आदेश दिया था और इसके लिए प्रशासन को एक हफ़्ते की मोहलत दी गई थी. 
  2. प्रशासन ने लोगों से 9 जनवरी तक अपना सामान ले जाने को कहा था. आदेश में कहा गया था कि इसके बाद मकानों पर बुल्‍डोजर चला दिया जाएगा.
  3. उत्‍तराखंड हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुल 6 याचिकाएं दाख़िल हुई हैं. इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
  4. याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों द्वारा सात अप्रैल, 2021 की कथित सीमांकन रिपोर्ट पर विचार नहीं किया. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके पास जमीन के वैध दस्तावेज हैं. 
  5. हल्दवानी के बनभूलपुरा इलाक़े में गफ़ूर बस्ती और उसके आसपास की क़रीब 29 एकड़ ज़मीन पर 4000 से ज़्यादा मकानों को गिराया जाना है, जिससे क़रीब 50 हज़ार लोगों के बेघर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.
  6. इस इलाक़े में चार सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी की टंकी, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं. इसके अलावा दशकों पहले बनी दुकानें भी हैं.
  7. उत्तराखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद से लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. लोग सवाल उठा रहे हैं कि अब क्‍यों रेलवे प्रशासन जागा है. इस ज़मीन पर दशकों से घर, स्कूल और अस्पताल बनने के बाद रेलवे की नींद खुली है। 
  8. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सुनवाई के दौरान रेलवे से पूछा गया कि क्या पुनर्वास की कोई योजना नहीं है? आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे हैं और कह रहे हैं खाली करो, ये मानवीय मामला है.
  9. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से भी पूछा कि लोग 50 सालों से रह रहे हैं, उनके पुनर्वास के लिए कोई योजना होनी चाहिए. हमें कोई प्रैक्टिकल समाधान निकालना होगा. समाधान का ये तरीक़ा नहीं है.
  10. इस मामले पर राजनीति भी जारी है. हालांकि, उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार ही प्रशासन कोई कदम उठाएगा. ये न्‍यायालय और रेलवे के बीच की बात है, सरकार इसमें पार्टी नहीं है. 

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