देश की प्रतिष्ठित जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम और उसके बाद पनपे तीखे विवाद में दिनोंदिन नए मोड़ आ रहे हैं। अब जेएनयू के टीचर एसोसिएशन ने मांग की है कि सभी निलंबित छात्रों का निलंबन समाप्त किया जाए। वहीं स्टूडेंट्स का कहना है कि वे सरेंडर नहीं करेंगे, पुलिस उन्हें अरेस्ट कर ले।
आइए जानें, इस पूरे मामले में अब तक क्या हुआ, इससे जुड़ी सिलेसिलेवार जानकारी :
9 फरवरी को लेफ़्ट विंग के कुछ छात्रों ने जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम कथित तौर पर अफ़ज़ल और मक़बूल भट्ट की याद में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसे छात्रों ने कल्चरल इवेंट का नाम दिया।
एबीवीपी के विरोध के बाद JNU प्रशासन ने कार्यक्रम की इजाज़त नहीं दी। इजाज़त नहीं मिलने के बावजूद वहां कुछ छात्र जमा हुए जहां कुछ छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए।
नारेबाज़ी के बाद एबीवीपी और लेफ़्ट समर्थक छात्रों के बीच झड़प हो गई। 10 फ़रवरी को नारेबाज़ी का वीडियो सामने आया जिसके बाद हंगामा हो गया।
12 फ़रवरी को देश विरोधी नारेबाज़ी के आरोप में छात्रों पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज
16 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया, छह को मुख्य आरोपी बनाया
जिन छह छात्रों को मुख्य आरोपी बनाया गया, उनके नाम हैं : कन्हैया, उमर ख़ालिद, आशुतोष कुमार, रामा नागा, अनिर्बान भट्टाचार्य, अनंत प्रकाश नारायण
12 फरवरी को जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया गिरफ़्तार किया गया जोकि फिलहाल जेल में है।
कन्हैया कुमार की 12 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से बाकी मुख्य आरोपी लापता हो गए थे।
उमर खालिद समेत इन पांचों छात्रों को 21 फरवरी देर रात और फिर 22 फरवरी की सुबह यूनिवर्सिटी कैंपस में देखा गया। छात्रों ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया बल्कि ‘डॉक्टर्ड वीडियो’ का इस्तेमाल कर उन्हें फंसाया गया।
बीच प्रशासनिक भवन के पास छात्रों की भीड़ के बीच उमर ख़ालिद ने भाषण दिया और आरएसएस व केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। आज सुबह तक खबर आ रही थी इस विवाद के चलते देशद्रोह का आरोप झेल रहे पांच छात्र आज सरेंडर कर सकते हैं लेकिन अब खबर है कि आरोपी छात्र कह रहे हैं कि वे आत्म समर्पण नहीं करेंगे और पुलिस उन्हें गिरफ्तार करे।