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कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए, अब यौन शोषण के आरोपों में घिरे एमजे अकबर, 8 खास बातें

#MeToo के तहत करीब 10 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं. 

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एमजे अकबर (MJ Akbar) ने कांग्रेस के साथ राजनीति की शुरुआत की थी.
नई दिल्ली:

#MeToo के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर (MJ Akbar) विदेश दौरे से भारत लौट आए हैं. नाइजीरिया के दौरे पर गये केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर रविवार की सुबह दिल्ली लौटे. दिल्ली लौटते ही केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पत्रकारों के सवालों से कन्नी काटते नजर आए और इस पूरे मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. हालांकि, पत्रकारों के बार-बार सवाल दोहराने पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे बाद में बयान देंगे और फिर चलते बने. गौरतलब है कि #MeToo के तहत करीब 10 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं. 

  1. एमजे अकबर का जन्‍म 11 जनवरी 1951 को हुआ. उनका पूरा नाम मुबशर जावेद अकबर है. जानकारी के मुताबिक उनके दादा रहमतुल्‍ला धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बने थे. वह हिंदू थे, लेकिन उनकी शादी मुस्लिम महिला से हुई थी. अकबर की शुरुआती शिक्षा कोलकाता बॉयज स्‍कूल में हुई, इसके बाद उन्‍होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई-लिखाई की. 
  2. एमजे अकबर दुनिया के नामचीन पत्रकारों में शुमार रहे हैं. वह द टेलिग्राफ के संस्थापकों में शामिल रहे हैं. आज भले ही एमजे अकबर बीजेपी में हों, लेकिन कभी कांग्रेस में उनकी अच्छी-खासी पैठ थी. खासकर राजीव गांधी से अच्छी नजदीकी थी और उनके प्रवक्ता भी थे. 1989 में उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया से सियासत में कदम रखा और बिहार के किशनगंज से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते. 
  3. राजीव गांधी से नजदीकी की वजह से एमजे अकबर का कांग्रेस में ठीक-ठाक रुतबा था, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद वे पार्टी में असहज महसूस करने लगे और राजनीति छोड़ने का निर्णय ले लिया. साल 1992 में वे कांग्रेस छोड़कर वापस पत्रकारिता की दुनिया में लौट आए. 
  4. एमजे अकबर ने 90 के दशक में अंग्रेजी अखबार 'द एशियन एज' की स्‍थापना की. यह दौर मंदिर-मस्जिद की राजनीति का था और कहा जाता है कि इसी दौर में एमजे अकबर की बीजेपी के शीर्ष नेताओं से करीबी बढ़ी. दूसरी तरफ, 2004 में कांग्रेस ने सत्‍ता में वापसी की. कहा जाता है कि इसके बाद एमजे 0अकबर की स्थिति द एशियन एज में कमजोर हुई और उन्हें पद से हटना पड़ा.
  5.  'द एशियन एज' से हटने के बाद एमजे अकबर ने कुछ समय के लिए इंडिया टुडे में काम किया और द संडे गार्जियन नाम का अखबार भी शुरू किया. इस दौरान वह अपना अखबार निकालते रहे. इस दौर में उनकी बीजेपी नेताओं से और नजदीकी बढ़ी.  एमजे अकबर ने जवाहर लाल नेहरू की जीवनी 'द मेकिंग ऑफ इंडिया' और 'द सीज विदिन', 'दि शेड ऑफ शोर्ड', 'ए कोहेसिव हिस्टरी ऑफ जिहाद' जैसी किताबें भी लिखी हैं.
  6. एमजे अकबर 2014 में नरेंद्र मोदी के करीब आए और एक बार फिर पत्रकारिता को अलविदा कह औपचारिक तौर पर राजनीति ज्वाइन कर ली. बीजेपी ज्‍वॉइन करने के बाद अकबर को पार्टी का प्रवक्‍ता बना दिया गया. हालांकि कहा जाता है कि भाजपा के अंदर भी तमाम लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं. 
  7. शीर्ष नेतृत्व से अच्छे संबंधों की बदौलत एमजे अकबर को 5 जुलाई 2016 को मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री बनाया गया. पहले उन्हें झारखंड से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था. इसके बाद दोबारा वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने.
  8. #MeToo के तहत करीब 10 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं. 


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