किसानों को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए एक बार फिर से देशभर के किसान देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जमा हुए हैं. किसानों की कर्जमाफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिए जाने समेत कई मांगों को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान (Kisan Mukti March) दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंच गए हैं. दो दिवसीय किसान मुक्ति मार्च का आज यानी शुक्रवार को दूसरा और आखिरी दिन है और किसान आज अपनी मांगों को लेकर संसद मार्च करेंगे. किसानों ने सरकार और प्रशासन को चेताया है कि अगर उन्हें संसद की ओर जाने से रोका गया तो फिर वे न्यूड प्रदर्शन करेंगे. किसान (Kisan Mukti March) इस बार सिर्फ दो मांगों को लेकर यह आंदोलन कर रहे हैं. उनकी पहली मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और दूसरी अपनी दूसरी मांग में फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा चाहते हैं. ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर लाल टोपी पहने और लाल झंडा लिए किसानों ने 'अयोध्या नहीं, कर्ज माफी चाहिए' जैसे नारे लगाते दिखे.
किसान मुक्ति मार्च से जुड़ी अहम जानकारियां
- किसानों (Kisan March) को कर्ज मुक्त बनाने और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर दो दिवसीय आंदोलन के पहले दिन गुरुवार को किसानों के साथ डाक्टर, वकील, पूर्व सैनिक, पेशेवर और छात्रों सहित समाज के तमाम वर्गों के लोगों के समूह रामलीला मैदान में एकत्र हो गये. देश के विभिन्न भागों से दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर एकत्र होकर आंदोलनकारियों का रामलीला मैदान तक पैदल और वाहनों से पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा और आज यानी शुक्रवार को संसद मार्च करेंगे ये किसान.
- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले लगभग 200 किसान संगठनों, राजनीतिक दलों और अन्य समाजिक संगठनों से किसानों की मांग का समर्थन करते हुये आंदोलन में भागीदारी की है. समिति के महासचिव अवीक शाहा और स्वराज इंडिया के संयोजक योगेन्द्र यादव की अगुवाई में दक्षिण पश्चिमी दिल्ली के बिजवासन से सुबह शुरु हुयी किसान मुक्ति यात्रा लगभग 25 किमी की पदयात्रा कर देर शाम रामलीला मैदान पहुंची.
- अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव अतुल कुमार अनजान सहित संगठन के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों के लिये सुविधाओं का लगातार जायजा लेते रहे. अनजान ने बताया कि नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम की ओर से भी किसानों के समूह पैदल और वाहनों से रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं. फरीदाबाद की ओर आश्रम होते हुये रामलीला मैदान पहुंच रही किसान मुक्ति यात्रा की अगुवाई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने की.
- इस बीच पूर्व सैनिकों के संगठन ने भी किसानों की मांग का समर्थन करते हुये किसान मुक्ति यात्रा में शिरकत की. संगठन के प्रमुख मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक किसान आंदोलन में दो दिन तक साथ रहेंगे. अनजान ने बताया कि यह पहला अवसर है जब किसानों के समर्थन में डॉक्टर, वकील, शिक्षक, रंगकर्मी और छात्र संगठनों सहित समाज के सभी वर्गों ने भी किसान आंदोलन में हिस्सेदारी की है. साईनाथ की अगुवाई में गठित समूह ‘नेशन फॉर फार्मर्स' के बैनर तले विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में शिरकत की है.सभी संगठनों के कार्यकर्ता बिजवासन, मजनू का टीला, निजामुद्दीन और आनंद विहार से किसान आंदोलनकारियों के साथ रामलीला मैदान पहुंचे.
- अनजान ने बताया कि रामलीला मैदान में सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर स्वास्थ्य, भोजन और पानी सहित अन्य जरूरी सुविधायें मुहैया करायी जा रही है. लगभग 60 हजार लोगों की क्षमता वाले रामलीला मैदान में एम्स, आरएमएल, लोकनायक, हिंदूराव, अरुणा आसिफ अली अस्पताल सहित दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के करीब 25 से 30 डॉक्टरों ने रामलीला मैदान पर किसानों के लिए एक निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया. साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से भोजन और रात के समय सर्दी से बचने के लिये जरूरी कपड़ों की व्यवस्था की गयी.
- पुलिस ने बताया कि बृहस्पतिवार को रामलीला मैदान में पुलिसबल तैनात किया गया है. साथ ही शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक किसान मार्च मार्ग में भी सुरक्षा और यातायात के विशेष प्रबंध किए गए हैं. पुलिस ने कहा कि किसानों के मार्च के दौरान सड़कों के दोनों तरफ रस्सी होगी और दूसरी तरफ पुलिस तैनात होगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि यातायात प्रभावित नहीं हो.
- अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी सरकार किसानों के समर्थन के बिना नहीं टिक सकती है. हजारों की संख्या में किसान देश के कोने-कोन से चलकर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे हैं ताकि सरकार के सामने अपने हक की मांग रख सकें.
- किसानों को संबोधित करते हुए गौड़ा ने कहा कि वह उनके दुख और दिक्कतों को समझते हैं क्योंकि वह खुद किसान के बेटे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देने आया हूं कि संघर्ष की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं. मैं आपके दुख और तकलीफों को समझता हूं.' बाद में रामलीला मैदान में संवादाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने केन्द्र सरकार से किसानों की मांग सुनने को कहा. उन्होंने कहा, ‘कोई सरकार किसानों के (समर्थन) बिना नहीं चल सकती है. केन्द्र सरकार को उनकी मांगें सुननी चाहिए. इस देश के किसान जाग चुके हैं और उन्हें बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.'
- देश के विभिन्न इलाकों मसलन, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से किसान ट्रेन, ट्रैक्टर्स से इस किसान मुक्ति मार्च में आए हैं.
- ओडिशा के 60 वर्षीय किसान भ्रामर विशी ने कहा कि तीन साल पहले मैंने 3 लाख रुपये लिए थे और अब इसे चुकता करना मुश्किल हो रहा है. मैं अपना कर्ज माफ करवाना चाहता हूं.