प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई का नाम अगले CJI के लिए केंद्र सरकार को भेजा है.
नई दिल्ली:
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई का नाम अगले CJI के लिए केंद्र सरकार को भेजा है. जस्टिस गोगोई का देश का अगला चीफ जस्टिस बनना तय है. लॉ मिनिस्ट्री ने CJI दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर अगले चीफ जस्टिस के नाम का प्रस्ताव मांगा था. इसके बाद CJI दीपक मिश्रा ने मंत्रालय को अपने बाद बनने वाले चीफ जस्टिस का नाम भेजा है. आइये आपको बताते हैं कि भारत में प्रधान न्यायाधीश या चीफ जस्टिस के चयन की प्रक्रिया क्या होती है और कौन इसके लिए योग्य होता है.
ऐसे होती है प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति
- भारत के संविधान में इस बात का जिक्र है कि सुप्रीम कोर्ट में एक चीफ जस्टिस होगा, लेकिन इसके चयन की प्रक्रिया के बारे में कोई खास ब्योरा नहीं है. सिर्फ आर्टिकल 126 है जिसमें कार्यकारी चीफ जस्टिस की नियुक्ति का विवरण है. ऐसे में देश में प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए परंपराओं का पालन किया जाता रहा है.
- न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित प्रक्रिया पत्रक के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश पद के लिए शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश को उपयुक्त माना जाना चाहिए. वरिष्ठतम से मतलब उम्र नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट में सेवा काल से है. पत्रक में कहा गया है कि विधि मंत्री उचित समय पर निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश से अगले सीजेआई की नियुक्ति के बारे में सिफारिश मांगेंगे.
- प्रधान न्यायाधीश यानी सीजेआई की नियुक्ति की सिफारिश मिलने के बाद विधि मंत्री इसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखते हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री इसे राष्ट्रपति के सामने रखते हैं और विचार विमर्श करते हैं. प्रधानमंत्री द्वारा सुझाये गए नाम पर राष्ट्रपति विचार-विमर्श के बाद अंतिम निर्णय करते हैं. नाम तय होने के बाद नए सीजेआई को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं.
- आपको बता दें कि वर्ष 1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद अब तक देश में 45 सीजेआई की नियुक्ति हो चुकी है. इसमें वर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा भी शामिल हैं. जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश की है. अगर उनकी नियुक्ति होती है तो वे पूर्वोत्तर भारत से देश के पहले CJI होंगे.
- 27 जनवरी को जारी अधिसूचना के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का वेतन एक लाख रुपये से बढ़ाकर 2.80 लाख रुपये प्रति महीने कर दिया गया है. वेतन के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश को सरकारी आवास, गाड़ी और कर्मचारियों आदि के भत्ते भी मिलते हैंय