कावेरी विवाद : 10 प्वाइंट में जानें आखिर यह मामला क्या है और क्यों बार-बार उभर आता है?

कावेरी विवाद : 10 प्वाइंट में जानें आखिर यह मामला क्या है और क्यों बार-बार उभर आता है?

बेंगलुरु: कावेरी नदी के पानी को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है. अब इस विवाद को लेकर तोड़फोड़ और बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को इस विवाद ने कर्नाटक में खासकर बेंगलुरु और मैसुरु की रफ्तार रोक दी. यह ताजा प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद हुए हैं, जिसमें कोर्ट ने अपने पिछले हफ्ते के फैसले को संशोधित करते हुए कर्नाटक से तमिलनाडु के लिए कम पानी ज्यादा दिनों तक छोड़ने का आदेश दिया है.

यह है कावेरी विवाद

  1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने सोमवार के फैसले में कर्नाटक को आदेश दिया कि वह 20 सितंबर तक प्रतिदिन 12 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिए छोड़े. पिछले ही हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने 15 हजार क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ने का आदेश दिया था.

  2. कर्नाटक ने सोमवार को कोर्ट में तमिलनाडु के दर्द के दावों को गलत बताया और कहा कि कम बारिश के कारण उनके पास खेती व पीने के लिए भी पानी की कमी है. सुप्रीम कोर्ट पर कर्नाटक की दलीलों का असर नहीं पड़ा और अंतत: कोर्ट ने कर्नाटक से और अधिक पानी तमिलनाडु की तरफ छोड़ने का आदेश दे दिया.

  3. पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह अगले 10 दिन तक प्रतिदिन 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिए छोड़े.

  4. तमिलनाडु का कहना है कि उसके किसानों को साल की दूसरी मौसमी फसल के लिए पानी की सख्त जरूरत है. उधर कर्नाटक का इस मामले में कहना है कि तमिलनाडु ने फसल का एक चक्र पूरा कर लिया है और अब गलत तरीके से एक और चक्र के लिए पानी मांग रहा है, जबकि हमारे अपने किसान संघर्ष कर रहे हैं.

  5. दक्षिण कर्नाटक में बहने वाली कावेरी नदी पूर्व की ओर बहते हुए बाद में तमिलनाडु में पहुंचती है और दोनों राज्यों के बीच दशकों से यह विवाद का कारण बनी हुई है. नदी का पानी मूल रूप से लगभग एक सदी पुराने समझौते के अनुसार विभाजित किया गया था.

  6. कर्नाटक का कहना है कि यह एक कच्चा सौदा है. जबकि तमिलनाडु कहता है कि लाखों एकड़ जमीन इस पानी पर निर्भर है, इसलिए उसके हिस्से को लेकर समझौते में बदलाव नहीं किया जा सकता.

  7. साल 1990 में केंद्र सरकार ने इस पूरे विवाद की जांच के लिए एक न्यायाधिकरण बनाया था. साल 2007 में इस न्यायाधिकरण ने फैसला दिया कि कैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, पुदुच्चेरी और केरल के बीच कावेरी के पानी का बंटवारा हो. हालांकि राज्य सरकारों ने इस विभाजन को चुनौती दी.

  8. कर्नाटक का कहना है कि इस साल कावेरी के महत्वपूर्ण जलसंग्रहण इलाकों में अच्छी बारिश नहीं हुई है. यही नहीं कोडागु जिला, जहां कावेरी नदी का उद्गम स्थल है वहां भी कम बारिश हुई है.

  9. कर्नाटक में कावेरी नदी पर चार बांध बने हैं. राज्य सरकार का कहना है कि इन बांधों में भी राज्य के बेंगलुरु और मैसुरु जैसे शहरों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है.

  10. इससे पहले आखिरी बार करीब चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया था और कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु के लिए और ज्यादा पानी छोड़े.