लोकसभा में जीएसटी बिलों पर बहस की शुरुआत दोपहर 12 बजे वित्तमंत्री अरुण जेटली के वक्तव्य से होगी...
नई दिल्ली:
संसद के निचले सदन, यानी लोकसभा में बुधवार को गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों पर बहस की जानी है, और देश में बहुत-से राज्यीय तथा केंद्रीय करों के बदले लागू होने वाले केंद्रीकृत कर जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने का रास्ता साफ हो सके. बुधवार की बहस के लिए सात घंटे का समय आवंटित किया गया है, और बहस की शुरुआत दोपहर 12 बजे वित्तमंत्री अरुण जेटली के वक्तव्य से होगी. कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली पहले वक्ता होंगे.
जीएसटी पर लोकसभा में बहस शुरू : 10 खास बातें
- सरकार ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से अनुरोध किया है कि बुधवार को शून्यकाल को खत्म कर दिया जाए, ताकि प्रश्नकाल के तुरंत बाद 12 बजे बहस शुरू करवाई जा सके. बहस के बाद इन बिलों में शामिल 250 क्लॉज़ (धाराओं) को एक-एक कर वोटिंग के लिए रखा जाएगा.
- अरुण जेटली का कहना है कि सरकार इन बिलों को सभी पार्टियों की सहमति से संसद में पारित करवाना चाहती है, जिस तरह पिछले साल अगस्त में उस संविधान संशोधन बिल को पारित करते वक्त सत्तापक्ष तथा विपक्ष एकजुट हो गया था, जिसके ज़रिये जीएसटी को लागू करने का रास्ता बनाया गया था.
- वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई बैठक में बीजेपी सांसदों को जीएसटी के बारे में ब्रीफ किया था. उन्होंने चारों बिलों के बारे में विस्तार से बताने के साथ साथी सांसदों को यह जानकारी भी दी थी कि 'एक देश, एक टैक्स' व्यवस्था लागू करवाने में ये बिल किस तरह मददगार होंगे.
- कांग्रेस का कहना है कि बिल अपने मौजूदा रूप में 'अस्वीकार्य' हैं, और बुधवार को उनके वक्ता उन्हीं चिंताओं को उठाकर बदलाव किए जाने की मांग करेंगे. लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता यह भी नहीं चाहते कि उन्हें देश में आज़ादी के बाद के सबसे बड़े टैक्स सुधार की राह में रोड़े अटकाने वाली पार्टी के रूप में देखा जाए, सो, उन्होंने सावधानी बरतने का सुझाव दिया है.
- कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को एक बैठक के दौरान अपनी पार्टी के सांसदों से 'सृजनात्मक विपक्ष' की भूमिका निभाने के लिए कहा है. उन्होंने सांसदों से संसद में किसानों की समस्याओं को उठाने तथा तथा उनके कर्ज़ों को माफ किए जाने की मांग करने के लिए भी कहा है.
- सरकार के पास लोकसभा में खासा बहुमत मौजूद है, सो, उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी से जुड़े इन बिलों को बहस के बाद बुधवार शाम को आसानी से मंज़ूरी मिल जाएगी. कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियों द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर भी वोटिंग करवाई जाएगी.
- इसके बाद बिलों को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में चर्चा के लिए भेजा जाएगा, चूंकि ये धन-संबंधी विधेयक हैं, इसलिए राज्यसभा सिर्फ बदलाव के सुझाव दे सकती है, और उन्हें फिर लोकसभा के समक्ष लाया जाएगा. लोकसभा के पास उन सुझावों को मंज़ूर या खारिज करने का अधिकार है.
- यदि सरकार जीएसटी को लागू करने के लिए 1 जुलाई की डेडलाइन को हासिल करना चाहती है, तो सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि बिलों को पारित करने की सारी प्रक्रिया 12 अप्रैल से पहले पूरी हो जाए, क्योंकि इसी दिन संसद का बजट सत्र समाप्त हो जाएगा. इससे पहले 1 अप्रैल की डेडलाइन पर जीएसटी को लागू करना संभव नहीं हो पाया था.
- बुधवार को जिन बिलों पर लोकसभा में बहस की जाएगी, वे हैं - सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी), इन्टीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी), यूनियन टेरिटरीज़ जीएसटी (यूटीजीएसटी) तथा जीएसटी मुआवज़ा कानून. इन बिलों को संसद से मंज़ूरी मिल जाने के बाद राज्य जीएसटी बिल राज्य विधानसभाओं में पेश किए जाएंगे.
- जीएसटी के तहत चार - 5, 12, 18 व 28 प्रतिशत - टैक्स स्लैब होंगी, तथा इसके अलावा पहले पांच साल तक कारों, शीतय पेयों तथा तंबाकू उत्पादों जैसी सामग्रियों पर कुछ अन्य कर भी लगाए जाएंगे, ताकि राज्यों के नुकसान की भरपाई की जा सके. मुआवज़ा कानून इस लिहाज़ से तैयार किया गया है, ताकि जीएसटी के लागू होने पर राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे को संवैधानिक जामा पहनाया जा सके. आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े कर सुधार से आर्थिक वृद्धि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है, तथा माना जा रहा है कि इससे राजस्व का दायरा बढ़ जाएगा, व कंपनियों की लागत कुछ कम होगी.