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This Article is From Feb 22, 2024

किस नदी को कहा जाता है गंगा नदी की बड़ी बहन, इस खास वजह से हुआ था उद्गम, भोलेनाथ से है नाता

Older Sister Of Ganga River: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस नदी को माना जाता है मां गंगा की बड़ी बहन. जानिए इस नदी से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.

किस नदी को कहा जाता है गंगा नदी की बड़ी बहन, इस खास वजह से हुआ था उद्गम, भोलेनाथ से है नाता
इस नदी को गुप्त नदी के नाम से भी जाना जाता है.

Sister River Of Ganga River: हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में नदियां (Rivers) आस्था का केंद्र मानी जाती हैं. गंगा नदी (Ganga River) को तो पतित पावनी नदी भी कहा जाता है. गंगा नदी के बारे में तो आप जानते ही हैं लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं गंगा नदी की बड़ी बहन देविका नदी (Devika River) के बारे में. दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देविका नदी को गंगा नदी की बड़ी बहन कहा जाता है. जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले का पहाड़ी शुद्ध महादेव मंदिर देविका नदी का उद्गम स्थल है. इसके बाद ये देविका नदी उत्तर पश्चिमी दिशा में जाकर रावी नदी में मिल जाती है. तो चलिए आपको बताते हैं देविका नदी के बारे में और यह भी कि उन्हें गुप्त नदी के नाम से भी क्यों जाना जाता है.

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गंगा नदी की बड़ी बहन 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा नदी की एक बड़ी बहन भी हैं जिन्हें देविका नदी (Devika Nadi) के नाम से जाना जाता है. गंगा की तरह ही देविका नदी का खास धार्मिक महत्व है. आपको बता दें कि देविका नदी के उद्गम स्थल को देवकनगरी भी कहा जाता है. इस नदी की एक विशेष बात है कि यह नदी अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद कहीं से बहती दिखाई देती है तो कहीं लिप्त हो जाती है. लुप्त हो जाने और दिखाई ना देने के कारण इसे गुप्त नदी (Gupt Nadi) भी कहा जाता है. उद्गम स्थल की बात करें तो देविका नदी जम्मू कश्मीर के उधमपुर के पहाड़ी महादेव मंदिर से निकलती है. 

इस वजह से हुआ देविका नदी का उद्गम 

शास्त्रों में देविका नदी को मां पार्वती का ही रूप माना गया है. कहते हैं कि भगवान शिव के आदेश पर डुग्गर प्रदेश के उद्धार के लिए माता पार्वती ने नदी का रूप धारण किया था. देविका नदी जहां भी प्रकट हुईं वहां के तटों पर शिव मंदिर मौजूद है. कहते हैं कि देविका नदी के तट पर जिसका भी अंतिम संस्कार होता है उसकी अस्थियां गंगा जी में विसर्जित नहीं की जातीं. यही नहीं कहा तो यह भी जाता है कि देविका नदी में विसर्जित अस्थियां कुछ दिनों में ही स्वयं विलुप्त हो जाती हैं और कहीं पर भी नजर नहीं आतीं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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