Guruwar Vrat Udyapan Vidhi: बृहस्पतिवार का व्रत कब और कैसे शुरू करें, जानिए व्रत के उद्यापन की विधि

Guruwar Vrat Udyapan Vidhi: गुरुवार (Guruwar) यानी बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पतिदेव की पूजा का विधान है.

Guruwar Vrat Udyapan Vidhi: बृहस्पतिवार का व्रत कब और कैसे शुरू करें, जानिए व्रत के उद्यापन की विधि

Guruwar Vrat Udyapan Vidhi: गुरुवार का व्रत करने पर प्रभु की कृपा प्राप्त होती है.

खास बातें

  • गुरुवार व्रत का है खास नियम.
  • शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू किया जाता है गुरुवार का व्रत.
  • गुरुवार व्रत के उद्यापन की विधि है खास.

Guruwar Vrat Udyapan Vidhi: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित है. इसी प्रकार गुरुवार (Guruwar) यानी बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पतिदेव की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार का व्रत कुंवारी लड़कियां विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए करती हैं. मान्यता है कि पूरी श्रद्धा के साथ गुरुवार का व्रत (Guruwar Vrat) करने पर प्रभु की कृपा प्राप्त होती है. बृहस्पतिवार का व्रत (Brihaspativar Vrat) कैसे किया जाता है और इस व्रत के उद्यापन की विधि क्या है इसे जानते हैं. 

कब से शुरू करें बृहस्पतिवार का व्रत? । Guruwar Vrat 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक एक साल में कुल 16 बृहस्पतिवार का व्रत किया जाता है और 17वें बृहस्पतिवार के दिन इस व्रत का उद्यापन किया जाता है. पौष माह को को छोड़कर इस व्रत को किसी भी महीने में शुरू किया जा सकता है. पौष माह दिसंबर से जनवरी के बीच आता है. बृहस्पतिवार का व्रत शुरू करने से लिए सबसे शुभ मुहूर्त हिंदी महीने के शुक्लपक्ष का पहला बृहस्पतिवार माना जाता है. 

बृहस्पतिवार व्रत की विधि । Guruwar Vrat Vidhi

बृहस्पतिवार व्रत की पूजन सामग्री में दाल, गुड़, हल्दी, केले और उपले की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा भगवान विष्णु की तस्वीर भी होना जरूरी होता है. व्रत के दिन सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत हो जाएं. इसके बाद स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी की जाती है. इसके लिए भगवान की मूर्ति या तस्वीर को साफ किया जाता है. भगवान को पीले फूल चढ़ाकर 16 गुरुवार के व्रत का संकल्प लिया जाता है. अगर पूजा केले के पेड़ के सामने किया जाता है तो छोटा पीला कपड़ा चढ़ाया जाता है. इस व्रत में केले के पेड़ या भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पूजन के लिए एक लोटे में जल भरकर रखा जाता है. जल में हल्दी, गुड़ और चने की दाल मिलाकर केले में चढ़ाया जाता है. इसके बाद भगवान को हल्दी या पीले चंदन से तिलक किया जाता है. इसके बाद घी का दीपक जलाकर व्रत कथा का पाठ किया जाता है. कथा के बाद उपले का हवन किया जाता है. हवन सामग्री में चने और गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. ओम् गुं गुरुवे नमः इस मंत्र के 5, 7 या 11 बार आहुति दी जाती है. अंत में बृहस्पति देव की आरती कर क्षमा प्रार्थना की जाती है. 

बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि । Guruwar Vrat Udyapan Vidhi

बृहस्पतिवार व्रत का उद्यापन करने के लिए चने की दाल, गुड़, हल्दी, केला, पपीता और पीले वस्त्र की जरूरत होती है. इसके बाद बृहस्पतिदेव की विधिवत पूजा की जाती है. फिर भगवान को सारी सामग्री चढ़ाकर व्रत का उद्यापन किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)