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Vijaya Ekadashi 2025: एकादशी के दिन नहीं किया जाता इस सफेद चीज का सेवन, रखें कुछ बातों का ध्यान

Vijaya Ekadashi Do's And Don'ts: विजया एकादशी को विजय प्राप्त करने वाली एकादशी भी कहा जाता है. यहां जानिए इस साल विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन खानपान से जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. 

Vijaya Ekadashi 2025: एकादशी के दिन नहीं किया जाता इस सफेद चीज का सेवन, रखें कुछ बातों का ध्यान
Vijaya Ekadashi Rules: विजया एकादशी पर कुछ चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए. 

Vijaya Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. एकादशी पर भगवान विष्णु की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना की जाती है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. मान्यतानुसार विजया एकादशी के दिन पूजा करने पर जातक को उसके दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है. जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली पाने के लिए भी विजया एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखा जाता है. इस साल विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी, सोमवार के दिन रखा जाएगा. ऐसे में जानिए एकादशी के दिन किन चीजों का सेवन ना करने के लिए कहा जाता है और किन चीजों को व्रत में खाया जा सकता है. 

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एकादशी पर क्या नहीं खाना चाहिए | What Not To Eat On Ekadashi 

विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को नाराज ना करने की कोशिश की जाती है. इस दिन व्रत रखकर क्या खाया जा रहा है इसका खास ध्यान रखा जाता है. कुछ व्रतों में चावल का सेवन किया जाता है लेकिन एकादशी के व्रत में चावल का सेवन नहीं किया जाता है. चावल (Rice) के अलावा कोई और अन्न या फिर नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. लहसुन, मसूर की दाल और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए. माना जाता है कि इन चीजों के सेवन से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं. 

एकादशी पर किन चीजों का सेवन करना चाहिए 

एकादशी के व्रत में कुट्टू के आटे की रोटी या पूड़ियां बनाकर खाई जा सकती हैं. इस दिन आलू और साबूदाने का सेवन किया जा सकता है. साबूदाने के खीर या खिचड़ी बनाई जा सकती है. दही, दूध और फलों को खाना भी एकादशी पर अच्छा माना जाता है.

विजया एकादशी पर ऐसे करें पूजा 

विजया एकादशी पर सुबह उठकर स्नान किया जाता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है. सुबह ही व्रत का प्रण लिया जाता है. पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करके उनके समक्ष धूप, दीप, पुष्प, फूल, तुलसी और भोग आदि अर्पित किया जाता है. व्रत की कथा पढ़ी जाती है, आरती की जाती है और पूजा का समापन होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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