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This Article is From Aug 29, 2022

Varah Jayanti 2022: इस दिन है वराह जयंती, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और भगवान विष्णु के इस अवतार का महत्व

Varah Jayanti 2022: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था. इस बार वराह जयंती 30 अगस्त को है. आइए जानते हैं वराह जयंती के शुभ मुहूर्त और कथा के बारे में.

Varah Jayanti 2022: इस दिन है वराह जयंती, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और भगवान विष्णु के इस अवतार का महत्व
Varah Jayanti 2022: इस साल वराह जयंती 30 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी.

Varah Jayanti 2022 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल वराह जयंती (Varah Jayanti 2022) 30 अगस्त, 2022 को है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने वराह अवतार लिया था. यही कारण है कि हर साल इस तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है. इस दौरा भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यतानुसार वराह जयंती पर भगवान विष्णु को इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं वराह जयंती के शुभ मुहूर्त, कथा और महत्व के बारे में.

वराह जयंती शुभ मुहूर्त | Varah Jayanti 2022 Date Shubh Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार, वराह जयंती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से लेकर 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक है. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार वराज जयंती 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक है. वहीं इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है.

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वराह जयंती शुभ योग | Varah Jayanti 2022 Shubh Yog

इस बार वराह जयंती पर 2 शुभ योग बन रहे हैं. रवि योग 30 अगस्त को सुबह 5 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 50 मिनट तक है. इसके अलावा शुभ योग सुबह से लेकर रात 12 बजे तक है. ज्योतिष शास्त्र में ये दोनों ही योग शुभ माने गए हैं.

वराह अवतार की कथा और महत्व | Varah Jayanti Katha and Singificance

हिरण्याक्ष ने अपने बल से पृथ्वी और स्वर्ग पर अधिकार कर रखा था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार उसने पृथ्वी को लेकर समुद्र के अंदर छिपा दिया. जिसके बाद सभी देवतागण भगवान विष्णु के पास मदद के लिए पहुंचे. तब भगवान विष्णु ने वराह का अवतार लेकर पृथ्वी की तलाश शुरू की. वे समुद्र के अंदर से पृथ्वी को अपने थूथन पर दो दांतों के बीच रखकर बाहर लाए और उसे स्थापित किया. जिसके बाद हिरण्याक्ष और भगवान वराह के बीच युद्ध हुआ, जिसमें हिरण्याक्ष मारा गया. इस प्रकार से भगवान वराह ने पृथ्वी की रक्षा की.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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