आज है योगिनी एकादशी व्रत, मिलेगा रोगों से छुटकारा

योगिनी एकादशी व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप मिट जाते हैं.

आज है योगिनी एकादशी व्रत, मिलेगा रोगों से छुटकारा

योगिनी एकादशी व्रत: मिलेगा रोगों से छुटकारा

उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत करने का विधान है. इस शुभ दिन पर विष्णु भगवान की पूजा-उपासना की जाती है. योगिनी एकादशी व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप मिट जाते हैं. जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि यह एकादशी निर्जला एकादशी के बाद और देवश्‍यनी एकादशी के बाद आती है.
ऐसा भी कहा जाता है‍ कि योगिनी एकादशी का व्रत करना अट्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है और यह स्वर्गलोक की प्राप्ति में सहायक है. इस दिन भगवान विष्णु नारायण एवं भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का पूजन किया जाता है. यदि आप ये व्रत करना चाहते हैं तो ध्‍यान रहे इस व्रत में केवल फल ही खाए जाते हैं. इस व्रत को समाप्‍त करने को पारण कहा जाता है.

योगिनी एकादशी व्रत की कथा
अलकापुरी नामक एक नगरी थी. जहां कुबेर नाम का एक राजा था. राजा कुबेर शिव के भक्त थे. राजा कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली था, जो पूजन के लिए फूल लाया करता था. इस माली की पत्‍नी का नाम था विशालाक्षी. एक दिन की बात है हमेशा की तरह माली हेम सागर से फूल तो ले आया, लेकिन पत्‍नी के साथ हास्य-विनोद करता रहा.

दूसरी ओर जब पूजा में देरी हुई तो राजा कुबेर ने सेवकों को इसका कारण जानने के लिए माली के पास भेजा. सेवकों ने सब पता करके राजा को बता दिया. यह सुनकर राजा को बहुत गुस्‍सा आया. उसने माली को श्राप दिया कि तू महिला का वियोग सहेगा और कोढ़ी बनेगा. इसके फौरन बाद माली को पृथ्वी पर भेज दिया गया. यहां पहुंचते ही वह कोढ़ी हो गया.

पृथ्‍वी पर माली ने बहुत दुख भोगे, लेकिन उसे अपना पिछला सब याद रहा. एक दिन परेशान होकर वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में गया. मार्कण्डेय ऋषि ने जब उसे देखा तो बोले, ‘तुमने जरूर कुछ ऐसा काम किया है, जिस कारण तुम्हारी ये हालत हो गई है.’ इसके बाद माली ने पूरी बात मार्कण्डेय ऋषि को बता दी. ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. इसके बाद माली ने पूरे विधि-विधान से योगिनी एकादशी का व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में वापस लोट गया और अपनी पत्‍नी के साथ सुखपूर्वक जीवन व्‍यतीत करने लगा.


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