Sunday Surya Dev Puja Vidhi Aarti: रविवार (Sunday) का दिन भगवान सूर्य (Surya Dev) को समर्पित माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं में सूर्य देव (Surya Dev) को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला देवता माना गया है. वेदों में सूर्य देव (Bhagwan Surya) का वर्णन जगत की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के रूप में की गई है. कहा जाता है कि सूर्य देव की पूजा (Surya Dev Puja) से शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शांति और सफलता की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि उगते हुए सूर्य को जल देना शुभ माना जाता है. रामायण महाकाव्य (Ramayan Epic) में भी इसका जिक्र है कि लंका में सेतु निर्माण करने से पूर्व भगवान श्रीराम ने सूर्य देव की उपासना की थी. रविवार (Ravivar) के दिन भगवान सूर्य की पूजा किस तरह की जाती है, इसके बारे में जानते हैं.
रविवार के दिन किस तरह की जाती है सूर्य देव की पूजा?
मान्यतानुसार भगवान सूर्य की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले जगकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद पूजा स्थान को स्वच्छ करके वहां भगवान सूर्य की तस्वीर की स्थापना की जाती है. इसके बाद भगवान सूर्य को फूल चढ़ाकर धूप-दीप दिखाया जाता है. फिर सूर्य के मंत्रों का जाप किया जाता है. मंत्र जाप के बाद व्रत कथा का पाठ किया जाता है. कथा करने के बाद सूर्य देव की आरती की जाती है.
इस तरह चढ़ाया जाता है भगवान सूर्य को जल
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य को जल देने के लिए सूर्योदय का समय सबसे अच्छा होता है. सूर्य देव के जल देने के लिए सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में जगना उत्तम माना गया है. ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद नित्यकर्म से निवृत होकर पीले वस्त्र पहनकर तांबें के लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है. जल पात्र में अक्षत, लाल फूल और रोली मिलाना शुभ माना गया है.
सूर्य देव की आरती (Surya Dev Ki Aarti)
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान
जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान
ऊँ जय सूर्य भगवान
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी
तुम चार भुजाधारी, अश्व हैं सात तुम्हारे
कोटी किरण पसारे, तुम हो देव महान
ऊँ जय सूर्य भगवान
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते
सब तब दर्शन पाते, फैलाते उजियारा
जागता तब जग सारा, करे सब तब गुणगान
ऊँ जय सूर्य भगवान
संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते
गोधन तब घर आते, गोधुली बेला में
हर घर हर आंगन में, हो तव महिमा गान
ऊँ जय सूर्य भगवान
देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते
आदित्य हृदय जपते, स्त्रोत ये मंगलकारी
इसकी है रचना न्यारी, दे नव जीवनदान
ऊँ जय सूर्य भगवान
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार
महिमा तब अपरम्पार, प्राणों का सिंचन करके
भक्तों को अपने देते, बल बृद्धि और ज्ञान
ऊँ जय सूर्य भगवान
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं
सब जीवों के प्राण तुम्हीं, वेद पुराण बखाने
धर्म सभी तुम्हें माने, तुम ही सर्व शक्तिमान
ऊँ जय सूर्य भगवान
पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल
तुम भुवनों के प्रतिपाल, ऋतुएं तुम्हारी दासी
तुम शाश्वत अविनाशी, शुभकारी अंशुमान
ऊँ जय सूर्य भगवान..
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान
ऊँ जय सूर्य भगवान..
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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