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किस दिन समाप्त होगा खरमास, जानिए Kharmas खत्म होने से पहले कौनसे काम करने चाहिए

Kharmas End Date: खरमास के दौरान विवाह और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. ऐसे में यहां जानिए किस दिन हो रहा है खरमास खत्म. 

किस दिन समाप्त होगा खरमास, जानिए Kharmas खत्म होने से पहले कौनसे काम करने चाहिए
Kab Khatm Honge Kharmas: जल्द होने वाला है खरमास का समापन.

Kharmas 2025: हिंदू धर्म में शुभ और अशुभ तिथियों का विशेष महत्व होता है. किसी भी अच्छे काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है और कोशिश की जाती है कि अगर मुहूर्त अच्छा ना हो तो किसी तरह के मांगलिक कार्य संपन्न ना किए जाएं. इसी तरह खरमास का विशेष महत्व है. खरमास वह समय होता है जब शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, जमीन खरीदना, जनेऊ संस्कार, नामकरण और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास की शुरुआत सूर्य देव (Surya Dev) के धनु और मीन राशि में गोचर करने से होती है. ऐसे में यहां जानिए इस साल खरमास की समाप्ति कब हो रही है और खरमास खत्म होने से पहले कौनसे काम किए जा सकते हैं. 

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खरमास खत्म होने की तिथि | Kharmas End Date 

बीते वर्ष 15 दिसंबर, 2024 से खरमास की शुरुआत हुई थी और खरमास का समापन 14 जनवरी, मंगलवार के दिन होने वाला है. इस दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भी पड़ रही है. इसी दिन से खरमास की समाप्ति के साथ सभी तरह के मांगलिक कार्य एक बार फिर किए जा सकेंगे. 

खरमास खत्म होने से पहले क्या करें 

खरमास खत्म होने से पहले भगवान सूर्य की पूरे मनोभाव से पूजा की जा सकती है. खरमास के दौरान सूर्य देव को जल से अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा, खरमास में दान-पुण्य करना अच्छा माना जाता है. दान में गुड़, मूंगफली, कंबल और गर्म कपड़े दिए जा सकते हैं. खरमास के दौरान सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करना भी शुभ होता है. 

सूर्य देव की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात सूर्य देव का ध्यान किया जाता है. इसके बाद लौटे में जल भरकर सूर्य देव पर अर्पित करते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जप किया जा सकता है. सूर्य देव के मंत्र ॐ सूर्याय नम: का जप करना बेहद शुभ होता है.  

सूर्य चालीसा दोहा

श्री रवि हरत हो घोर तम
अगणित किरण पसारी
वंदन करू तब चरणन में
अर्ध्य देऊ जल धारी

सकल सृष्टि के स्वामी हो
सचराचर के नाथ
निसदिन होत तुमसे ही
होवत संध्या प्रभात

चौपाई

जय भगवान सूर्य तम हरी
जय खगेश दिनकर शुभकारी
तुम हो सृष्टि के नेत्र स्वरूपा
त्रिगुण धारी त्रै वेद स्वरूपा

तुम ही करता पालक संहारक
भुवन चतुदर्श के संचालक
सुंदर बदन चतुर्भुज धारी
रश्मि रथी तुम गगन विहारी

चक्र शंख अरु श्वेत कमलधर
वरमुद्रा सोहत चोटेकर
शीश मुकुट कुंडल गल माला
चारु तिलक तब भाल विशाला

सप्त अश्व रथ अतिद्रुत गामी
अरुण साथी गति अविरामी
रक्त वरुण आभूषण धारक
अतिप्रिय तोहे लाल पदार्थ

सर्वात्मा कहे तुम्हें ऋग्वेदा
मित्र कहे तुमको सब वेदा
पंचदेवों में पूजे जाते
मनवांछित फल साधक पाते

द्वादश नाम जाप उदधारक
रोग शोक अरु कष्ट निवारक
माँ कुंती तब ध्यान लगायों
दानवीर सूत कर्ण सो पायो

राजा युधिष्ठिर तब जस गायों
अक्षय पात्र वो वन में पायो
शस्त्र त्याग अर्जुन अकुरायों
बन आदित्य ह्रदय से पायो

विंध्याचल तब मार्ग में आयो
हाहाकार तिमिर से छायों
मुनि अगस्त्य गिरि गर्व मिटायो
निजटक बल से विंध्य नवायो

मुनि अगस्त्य तब महिमा गायी
सुमिर भये विजयी रघुराई
तोहे विरोक मधुर फल जाना
मुख में लिन्ही तोहे हनुमाना

तब नंदन शनिदेव कहावे
पवन के सूत शनि तीर मिटावे
यज्ञ व्रत स्तुति तुम्हारी किन्ही
भेंट शुक्ल यजुर्वेद की दीन्ही

सूर्यमुखी खरी तर तब रूपा
कृष्ण सुदर्शन भानु स्वरूप
नमन तोहे ओंकार स्वरूपा
नमन आत्मा अरु काल स्वरूपा

दिग दिगंत तब तेज प्रकशे
उज्ज्वल रूप तुम्ही आकशे
दश दिग्पाल करत तब सुमिरन
अंजली नित्य करत हैं अर्पण

त्रिविध ताप हरता तुम भगवन
ज्ञान ज्योति करता तुम भगवन
सफल बनावे तब आराधना
गायत्री जप सरल है साधन

संध्या त्रिकाल करत जो कोई
पावे कृपा सदा तब वो ही
चित शांति सूर्याष्टक देव
व्याधि अपाधि सब हर लेवे

अष्टदल कमल यंत्र शुभकारी
पूजा उपासन तब सुखकारी
माघ मास शुद्धसप्तमी पावन
आरंभ हो तब शुभ व्रत पालन

भानु सप्तमी मंगलकारी
भक्ति दायिनी दोषण हारी
रविवासर जो तुमको ध्यावे
पुत्रादिक दुख वैभव पावे

पाप रूपी पर्वत के विनाशी
व्रज रूप तुम हो अविनाशी
राहू आन तब ग्रास बनावे
ग्रहण सूर्य ताको लग जावे

धर्म दान तप करते है साधक
मिटत राहू तब पीड़ा बाधक
सूर्य देव तब कृपा कीजे
दिर्ध आयू बल बुद्धि दीजे

सूर्य उपासना कर नीत ध्यावे
कुष्ट रोग से मुक्ति पावे
दक्षिण दिशा तोरी गति जावे
दक्षिणायन वो ही कहलावे

उत्तर मार्गी तोरो रथ होवे
उत्तरायण तब वो कहलावे
मन अरु वचन कर्म हो पावन
संयम करता भलित आराधना

दोहा

भरत दास चिंतन करत
घर दिनकर तब ध्यान
रखियों कृपा इस भक्त पे
तुम्हारी सूर्य भगवान

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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