विज्ञापन
This Article is From Jul 25, 2018

सबरीमाला विवाद: SC ने कहा, मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध को संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर परखा जाएगा'

सबरीमाला मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बोर्ड को यह साबित करने को कहा कि प्रतिबंध धार्मिक आस्था का 'अनिवार्य और अभिन्न' हिस्सा है.

सबरीमाला विवाद: SC ने कहा, मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध को संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर परखा जाएगा'
सबरीमाला मंदिर
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ किया कि प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को संविधान के सिद्धांतों के आधार पर परखा जाएगा. कोर्ट ने मंदिर बोर्ड को यह साबित करने को कहा कि प्रतिबंध धार्मिक आस्था का 'अनिवार्य और अभिन्न' हिस्सा है.

'अगर पुरुषों को प्रवेश की अनुमति है, तो महिलाओं को भी मिलनी चाहिए'

 चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 800 साल पुराने भगवान अय्यप्पा मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड की इस दलील पर सहमति नहीं जताई कि बिना किसी व्यवधान के निरंतर जारी 'परंपरा और रीति रिवाजों' को 'आधुनिक सिद्धांतों ' के आधार पर जांचा परखा नहीं जा सकता.

बेंच ने कहा, 'आधुनिक नहीं संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर रीति रिवाजों को जांचा जाएगा. आधुनिक धारणाएं बदलती रहती हैं. 1950 (संविधान लागू होने) के बाद, सब कुछ संवैधानिक सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप होना चाहिए.'

बेंच ने मंदिर बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी से यह भी कहा कि उन्हें यह साबित करना होगा कि महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी धार्मिक आस्था का 'अनिवार्य और अभिन्न' हिस्सा है. संविधान बेंच के अन्य सदस्यों में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ भी शामिल हैं.

सबरीमाला का प्रसाद बदला, पहले से ज्यादा स्वादिष्ट प्रसादम देने की तैयारी

प्रतिबंध के खिलाफ 'इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन' और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 (धार्मिक अधिकार) का जिक्र करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को केवल 'सार्वजनिक स्वास्थ्य , लोक व्यवस्था और नैतिकता' के आधार पर रोका जा सकता है.

सिंघवी ने कहा कि देश की मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है और आस्था पर आधारित इन परंपराओं के परखने से मुद्दों का पिटारा खुल जाएगा.

बेंच ने केरल हाईकोर्ट में बोर्ड के कथन में अंतर्विरोध की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि यह स्वीकार्य स्थिति थी कि तीर्थयात्रा शुरू होने पर पहले पांच दिन सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति होती थी और इसके बाद भीड़ बढ़ने की वजह से उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था.

इससे पहले 19 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केरल के इस प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर में 10-50 उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित करने के औचित्य पर सवाल उठाया था. पीठ का कहना था कि महिलाओं में 10 साल की उम्र से पहले भी पीरियड्स शुरू हो सकते हैं.

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका में वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन का कहना था कि एक विशेष उम्र की महिलाओं को अलग करना उन्हें अछूत मानने जैसा है जो संविधान के अनुच्छेद 17 में निषिद्ध है.

पीठ इस तर्क से सहमत नहीं थी और उसका कहना था कि संविधान का अनुच्छेद 17 इस मामले में शायद लागू नहीं हो सके क्योंकि मंदिर में प्रवेश से वंचित की जा रही महिलाओं में सवर्ण वर्ग की भी हो सकती हैं और यह प्रावधान सिर्फ अनुसूचित जातियों से संबंधित है.

केरल सरकार ने पहले कोर्ट से कहा था कि वह इस मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है. 

Video: SC ने कहा- क्या मंदिर की प्रथा संविधान का उल्लंघन कर सकती है?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
गणेश भगवान की पूजा में बप्पा को लगाएं इन 7 चीजों का भोग, खुश होंगे गणपति
सबरीमाला विवाद: SC ने कहा, मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध को संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर परखा जाएगा'
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Next Article
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com