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Skand Sashti 2024: आज है स्कंद षष्ठी, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त 

हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. इस दिन मान्यतानुसार भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. 

Skand Sashti 2024: आज है स्कंद षष्ठी, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त 
माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने पर शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. 

Skand Sashti 2024: पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. इस दिन पूरे मनोभाव से भगवान कार्तिकेय की पूजा-आराधना की जाती है. भगवान कार्तिकेय को स्कंद, कुमार, मुरुगन और सुब्रह्मण्य जैसे नामों से भी जाना जाता है. माना जाता है कि स्कंद षष्ठी के दिन पूरे मनोभाव से भगवान कार्तिकेय की पूजा-आराधना की जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं, शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और साथ ही खुशहाली आती है सो अलग. भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) की पूजा करने से रोग, काम, क्रोध, दोष, लोभ और मद पर व्यक्ति विजय पा लेता है और इन चीजों से कोसों दूर रहता है. इस महीने आज 11 जुलाई, गुरुवार के दिन स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है. जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. 

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स्कंद षष्ठी की पूजा | Skand Sashti Puja 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 11 जुलाई की सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 12 जुलाई की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते 11 जुलाई के दिन ही स्कंद षष्ठी की पूजा की जाएगी. स्कंद षष्ठी पर रवि योग बन रहा है. रवि योग दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से 12 जुलाई सुबह 5 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, पूजा करने के लिए अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 59 मिनट से शाम 4 बजकर 51 मिनट तक है. विजय मुहूर्त में दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से दोपहर 3 बजकर 40 मिनट तक पूजा की जा सकती है. 

स्ंकद षष्ठी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जाता है. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. अब सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इसते बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. पूजा करने के लिए चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा सजाई जाती है. इसके बाद फल, फूल, दही, दूध, घी, अक्षत, धूप, दीप, श्रीखंड और हल्दी आदि पूजा सामग्री (Puja Samagri) को भगवान के समक्ष अर्पित करते हैं. इसके बाद प्रभु की आरती की जाती है और कार्तिकेय चालिसा का पाठ व शुभ मंत्रों का जाप करके पूजा संपन्न की जाती है. भगवान कार्तिकेय को फल, खीर और मिठाई का भोग लगाया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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