
शिवलिंग पर चढ़े जल को चरणामृत के समान माना जाता है.
Shivling par jal chadhane ka niyam : भगवान शिव की पूजा में जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है. बिना इसके भोलेनाथ की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है. मान्यता है शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.साथ ही, जीवन में सकारात्मकता आती है. सावन के महीने में भोलेनाथ के साथ उनके परिवार की भी पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में आज के इस लेख में हम जानेंगे शिव परिवार पर जल चढ़ाने का नियम क्या होता है और शिवलिंग पर चढ़ा जल पीना चाहिए की नहीं...
शिव परिवार जल चढ़ाने का क्या नियम है - What is the rule of offering water to Shiv Parivar
- जैसा की आप सभी को पता है भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का दर्जा प्राप्त है इसलिए पहले गणेश जी को जल चढ़ाएं, फिर शिवलिंग पर, और फिर माता पार्वती के चरणों में जल अर्पित करें. अंत में धरती माता को जल चढ़ाएं.
शिवलिंग पर जल जल चढ़ाते इन बातों का रखें ध्यान - Keep these things in mind while offering water to Shivling
- एक बात का विशेष ध्यान रखें जल चढ़ाते समय, उत्तर दिशा की ओर मुख करके खड़े हों और दक्षिण दिशा में बैठें. इस दौरान ओम नम: शिवाय या शिव गायत्री मंत्र का जाप करें.
- वहीं, जल चढ़ाने के लिए सोने, चांदी, पीतल या तांबे के लोटे या फिर मिट्टी के कलश का उपयोग करें. इसके अलावा शिवलिंग की परिक्रमा करें लेकिन आधी.
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच का होता है. वहीं, जल चढ़ाते समय हमेशा दोनों हाथों का उपयोग करना चाहिए और शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
शिवलिंग पर चढ़े जल को पीना चाहिए या नहीं - Should we drink the water offered to Shivling or not?
- शिवलिंग पर चढ़े जल को चरणामृत के समान माना जाता है. इसलिए आप इसको ग्रहण भी कर सकते हैं. मान्यता है शिवलिंग पर चढ़े जल को पीने से सारे दुख दूर होते हैं. इससे मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है. वहीं, इस जल को घर में छिड़कना चाहिए. इससे नकारात्मक उर्जा घर से दूर होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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