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This Article is From May 26, 2022

Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत में किया जाता है इस चालीसा का पाठ, जानिए पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत 27 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन भगवान की पूजा में शिव चालीसा का पाठ किया जाता है.

Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत में किया जाता है इस चालीसा का पाठ, जानिए पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है.

Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiv) को समर्पित माना जाता है. इस व्रत में भक्त व्रत रखते हैं और उस दौरान भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव जी (Shiv JI) के साथ मां पार्वती (Maa Parvati) की भी पूजा की जाती है. ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत 27 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा. चूंकि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) के दिन शुक्रवार पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) होगा. इस बार शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग और सौभाग्य योग का शुभ संयोग बन रहा है. शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन भगवान शिव को समर्पित शिव चालीसा का भी पाठ किया जाता है. 

शिव चालीसा | Shiv Chalisa

दोहा- जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान, कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला

भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के

अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन क्षार लगाए

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देखि नाग मन मोहे

मैना मातु की हवे दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे

कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ

देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा

किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी

तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ

आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई

किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं

वेद माहि महिमा तुम गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरत सुरासुर भए विहाला

कीन्ही दया तहं करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा

सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी

एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भए प्रसन्न दिए इच्छित वर

जय जय जय अनन्त अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, येहि अवसर मोहि आन उबारो

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट ते मोहि आन उबारो

मात-पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहिं कोई

स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी

धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी

शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, शारद नारद शीश नवावैं

नमो नमो जय नमः शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय

जो यह पाठ करे मन लाई, ता पर होत है शम्भु सहाई

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी

पुत्र होन कर इच्छा जोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई

पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा, ताके तन नहीं रहै कलेशा

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे

जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्त धाम शिवपुर में पावे


प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त | Pradosh Vrat Shubh Muhurat

  • ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी आरंभ- मई 27 को 11:47 ए एम
  • ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त- मई 28 को 01:09 पी एम
  • प्रदोष काल- 27 मई 2022 को शाम 07:12 पी एम से  09:14 पी एम 
  • शुक्र प्रदोष व्रत - 27 मई 2022, शुक्रवार

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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