शरद पूर्णिमा से जुड़ी 5 मान्यताएं
नई दिल्ली:
Sharad Purnima 2018: शरद पूर्णिमा हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. शरद पूर्णिमा के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखती हैं. इस पूर्णिमा की रात 12 बजे के बाद खुले आसमान में रखी खीर को खाने का रिवाज है. इसे प्रसाद समझकर घर के सभी सदस्यों को खिलाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन रात में आसमान से अमृत बरसता है. इसीलिए बाहर खीर को रखा जाता है ताकि इसमें अमृत गिरे. शरद पूर्णिमा को लेकर इसी तरह की कई और मान्यताएं भी हैं. यहां 5 पॉइंट्स में जानिए इस पूर्णिमा से जुड़े बाकि मान्यताओं के बारे में.
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1. शरद पूर्णिमा को लेकर श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा गया है कि इस पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सारी गोपियां उनकी ओर खीचीं चली आईं. शरद पूर्णिमा की इस रात को 'महारास' या 'रास पूर्णिमा' (Maha Raas Leela or Raas Purnima) कहा जाता है. मान्यता है कि इस रात हर गोपी के लिए भगवान कृष्ण ने एक-एक कृष्ण बनाए और पूरी रात यही कृष्ण और गोपियां नाचते रहे, जिसे महरास कहा गया. इस महारास को लेकर यह भी कहा जाता है कि कृष्ण ने अपनी शक्ति से शरद पूर्णिमा की रात को भगवान ब्रह्मा की एक रात जितना लंबा कर दिया. ब्रह्मा की एक रात मनुष्यों के करोड़ों रातों के बराबर होती है.
2. शरद पूर्णिमा को लेकर एक और मान्यता के मुताबिक इस रात धन की लक्ष्मी ने आकाश में विचरण करते हुए कहा था कि 'को जाग्रति'. संस्कृत में 'को जाग्रति' का अर्थ है 'कौन जगा हुआ है'. ऐसा माना जाता है कि जो भी शरद पूर्णिमा के दिन और रात को जगा रहता है माता लक्ष्मी उनपर अपनी खास कृपा बरसाती हैं. इस मान्यता के चलते ही शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' (Kojagar Purnima) भी कहा जाता है.
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3. इस पूर्णिमा को 'कोजागरी पूर्णिमा' (Kojagiri Purnima) भी कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन भारत के कई हिस्सों में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.
4. शरद पूर्णिमा के दिन कुवांरी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं. खासकर ओडिशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' (Kumar Purnima) कहते हैं. इस दिन कुवांरी लड़कियां भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं और शाम को चांद निकलने के बाद व्रत खोलती हैं.
5. शरद पूर्णिमा की इन मान्यताओं के अलावा इस रात बनाई जाने वाली खीर से भी कई बातें जुड़ी हैं. माना जाता है इस रात की बनी खीर को रात 12 बजे तक खुले आसमान में रखने के बाद खाने से चर्म रोग, अस्थमा, दिल की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां और आंखों की रोशनी से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है.
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1. शरद पूर्णिमा को लेकर श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा गया है कि इस पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सारी गोपियां उनकी ओर खीचीं चली आईं. शरद पूर्णिमा की इस रात को 'महारास' या 'रास पूर्णिमा' (Maha Raas Leela or Raas Purnima) कहा जाता है. मान्यता है कि इस रात हर गोपी के लिए भगवान कृष्ण ने एक-एक कृष्ण बनाए और पूरी रात यही कृष्ण और गोपियां नाचते रहे, जिसे महरास कहा गया. इस महारास को लेकर यह भी कहा जाता है कि कृष्ण ने अपनी शक्ति से शरद पूर्णिमा की रात को भगवान ब्रह्मा की एक रात जितना लंबा कर दिया. ब्रह्मा की एक रात मनुष्यों के करोड़ों रातों के बराबर होती है.
2. शरद पूर्णिमा को लेकर एक और मान्यता के मुताबिक इस रात धन की लक्ष्मी ने आकाश में विचरण करते हुए कहा था कि 'को जाग्रति'. संस्कृत में 'को जाग्रति' का अर्थ है 'कौन जगा हुआ है'. ऐसा माना जाता है कि जो भी शरद पूर्णिमा के दिन और रात को जगा रहता है माता लक्ष्मी उनपर अपनी खास कृपा बरसाती हैं. इस मान्यता के चलते ही शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' (Kojagar Purnima) भी कहा जाता है.
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3. इस पूर्णिमा को 'कोजागरी पूर्णिमा' (Kojagiri Purnima) भी कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन भारत के कई हिस्सों में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.
4. शरद पूर्णिमा के दिन कुवांरी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं. खासकर ओडिशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' (Kumar Purnima) कहते हैं. इस दिन कुवांरी लड़कियां भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं और शाम को चांद निकलने के बाद व्रत खोलती हैं.
5. शरद पूर्णिमा की इन मान्यताओं के अलावा इस रात बनाई जाने वाली खीर से भी कई बातें जुड़ी हैं. माना जाता है इस रात की बनी खीर को रात 12 बजे तक खुले आसमान में रखने के बाद खाने से चर्म रोग, अस्थमा, दिल की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां और आंखों की रोशनी से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है.
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