Sawan Somwar 2023: भगवान शिव को देवों के देव कहा जाता है. सावन के महीने में विशेषकर शिव पूजा की जाती है. इस माह भक्त अपने आराध्य भोलेनाथ (Bholenath) की आराधना में लीन रहते हैं. यह वह समय है जिसमें माना जाता है कि शिव पूजा का विशेष फल भक्तों को मिलता है. आमतौर पर सावन एक माह का होता है लेकिन इस बार सावन 59 दिन यानी लगभग 2 महीनों का होने वाला है. 19 सालों बाद यह शुभ संयोग बना है. आज 10 जुलाई के दिन सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है. जानिए इस खास अवसर पर किस तरह की जाती है भोलेनाथ की आरती, किन मंत्रों (Mantras) का होता है जाप और सावन की कथा के बारे में.
सावन सोमवार में शिव मंत्रों का जाप
- ॐ नम: शिवाय।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
- नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:
- ॐ महेश्वराय नम:
- ॐ कपर्दिने नम:
- ॐ भैरवाय नम:
- ॐ अघोराय नम:
- ॐ ईशानाय नम:
सावन से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि यह सावन का ही माह था जब माता पार्वती (Mata Parvati) ने घोर तपस्या कर भोलेनाथ से विवाह की इच्छा जताई थी और भोलेनाथ ने उनकी मनोकामना पूर्ण की थी. इसके अतिरिक्त सावन से साहुकार की बहुप्रचलित कथा जुड़ी है. कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब एक नगर में साहुकार रहता था जिसके घर धन की कमी नहीं थी लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी. यह साहुकार हर सोमवार व्रत रख भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती का व्रत रखता था जिससे इससे संतान प्राप्ति हो जाए. भगवान शिव ने माता पार्वती के आग्रप पर साहुकार की भक्ति देख उसे संतान दी. साहुकार के यहां बेटा हुआ लेकिन उसकी अल्पायु थी.
साहुकार ने यह बात जान बेटे को ग्यारह वर्ष की आयु का होते ही मामा के साथ काशी रवाना कर दिया. माता-पिता को लगा कि बालक जल्द ही मर जाएगा और कभी नहीं लोटेगा. लेकिन उनकी वेदना माता पार्वती से देखी नहीं गई. माता पार्वती ने एकबार फिर भोलेनाथ से आग्रह किया और साहुकार के बेटे की 12 वर्ष में मृत्यु हो जाने के बाद भी भगवान शिव ने उसे पुनर्जीवित कर दिया. इसीलिए कहा जाता है कि भगवान शिव की आराधना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
सावन सोमवार की शिव आरतीॐ जय शिव ओंकारा… आरती
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
जटा में गंग बहती है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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