
Lord Shiva jyotirlinga and Shaktipeeth together: शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. यही कारण है कि भोले के भक्त न सिर्फ अपने घरों के आस-पास बने शिवालय में बल्कि देश के 12 ज्योतिर्लिंग पर महादेव को मनाने के लिए पहुंचते हैं. आस्था से जुड़े सभी ज्योतिर्लिंग का दर्शन और पूजन कल्याणकारी माना गया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से चार ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं, जहां जाने पर आपको शिव (Lord Shiva) संग शक्तिपीठ (Shaktipeeth) के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होता है. आइए शिव और शक्ति से जुड़े ऐसे पावन धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं.

बाबा विश्वनाथ संग करें मां विशालाक्षी की पूजा
भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी जिस काशी (Kashi) में लोग बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) के दर्शन और मोक्ष की कामना लिए प्रतिदिन हजारों-लाखों की संख्या में पहुंचते हैं, वहां विश्व के 51 शक्तिपीठों में से एक माता विशालाक्षी का भी पावन धाम स्थित है. मां विशालाक्षी का यह पावन धाम बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) के मंदिर से चंद दूरी पर मीरघाट मोहल्ले में स्थित है. पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस स्थान पर माता का मंदिर बना हुआ है, वहां कभी सती के कर्ण कुंडल गिरे थे. स्थानीय लोग इसे दक्षिण वाली माता के मंदिर के नाम से बुलाते हैं. शक्ति के इस पावन पीठ मां विशालाक्षी (Mata vishalakshi mandir) की दो प्रतिमाएं हैं. जिनमें से एक को चल और दूसरे को अचल के रूप में पूजा जाता है. नवरात्रि (Navratri) में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.

महाकाल की नगरी में है मां हरसिद्धि का धाम
यदि आप महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्रोग्राम बना रहे हैं तो आपको यहां तमाम देवी-देवताओं के साथ माता हरिसिद्ध के दर्शन भी जरूर करने चाहिए. उज्जैन नगरी में एक ओर जहां स्वयंभू महाकाल का पावन ज्योतिर्लिंग है, जहां हर रोज भस्म आरती होती है तो वही से चंद मिनटों की दूरी पर 51 शक्तिपीठ (51 Shaktipeeth) में से एक देवी हरसिद्धि का पावन धाम है. पौराणिक मान्यता है कि यहां पर कभी भगवान श्री विष्णु के चक्र से कटकर माता सती की कोहनी गिरी थी. उज्जैन नगरी को राजा विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है. मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य ने इस मंदिर में 11 बार अपना सिर काट कर चढ़ाया था, लेकिन देवी कृपा से वह हर बार जुड़ जाता था.

देवघर जहां जय दुर्गा संग विराजते हैं बाबा वैद्यनाथ
देवों के देव महादेव के जिस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से शिव भक्तों को सौभाग्य संग आरोग्य का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है वह झारखंड के देवघर में स्थित है. बाबा वैद्यनाथ (Baba Vaidyanath) धाम के इस ज्योतिर्लिंग पर हर साल सावन में लाखों की संख्या में भक्त जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं. शिव से जुड़े इस पावन धाम के पास भी देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे लोग जय दुर्गा (Jayadurga) धाम के नाम से जानते हैं. मान्यता है कि यहां पर माता सती का हृदय गिरा था. यह देश का एक मात्र ज्योतिर्लिंग है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां शिव और शक्ति एक साथ विराजते हैं.
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मल्लिकार्जुन के साथ करें मां ब्रह्मारिका के दर्शन
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Swamy Temple) जिसे दक्षिण का कैलाश कहा जाता है, वहां जाने पर भी आपको शिव संग शक्तिपीठ के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है. हिंदू मान्यता के अनुसार मल्लिकार्जुन में भगवान शिव माता पार्वती संग विराजते हैं. जिस ज्योतिर्लिंग पर जाने पर सुहागिन महिलाओं को विशेष रूप से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है, वहां पर मां ब्रह्मारिका का भी पावन धाम है. मां ब्रह्मारिका (Goddess Bhramarambika) को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार कभी इसी स्थान पर माता सती की गर्दन गिरी थी. माता का यह मंदिर नल्लामाला पहाड़ियों (Nallamala Hills) पर स्थित है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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