Lord Shiva : सावन का महीना मतलब भोलेनाथ की पूजा-आराधना करने के दिन. वैसे तो भगवान शिव की पूजा हर दिन की जाती है, लेकिन सावन माह (Sawan 2022) में करने का विशेष महत्व होता है. इस पवित्र महीने में भक्तगण अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ (Baba vishwanath) को खुश करने के लिए 5 सोमवार (monday fast) का व्रत रखते हैं. इस दौरान वे बेलपत्र, धतूरा, फूल और दूध आदि चीजों को भोलेनाथ को अर्पित करते हैं. सावन के महीने में लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं घर की सुख शांति के लिए. लेकिन क्या आपको पता है भगवान नीलकंठ से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात. आपको बता दें कि इन्हें चढ़ावे में तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती है. अब आप सोचेंगे ऐसा क्यों तो इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है जिसके बारे में इस लेख में बताया गया है.
शिव को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती | Why Tulsi is not offered to Shiva
पौराणिक मान्यताएं हैं कि देवी तुलसी जलंधर नामक की राक्षस की पत्नी थीं. जिसका जन्म तो भगवान शिव के अवतार के रूप में हुआ था लेकिन, अपने कर्मों की वजह से वह राक्षसी कुल में पैदा हुआ. जलंधर राक्षस के आतंक से आस-पास के लोग बहुत परेशान रहते थे लेकिन किसी में इतना साहस नहीं था कि वह उसका वध कर सकें. वहीं, तुलसी जिनका नाम वृंदा था एक पतिव्रता स्त्री थीं. ऐसे में एक दिन भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर तुलसी के पतिव्रता धर्म को भंग कर दिया. जब इस बात की जानकारी वृंदा को हुई तो उन्होंने क्रोधित होकर श्राप दिया कि वह पत्थर का रूप धारण कर लेंगे.
हालांकि इसके पीछे का कारण भगवान विष्णु के बताने के बाद भी देवी तुलसी का गुस्सा शांत नहीं हुआ. इसके बाद विष्णु जी ने भी उन्हें श्राप दिया कि वह अगले जन्म में लकड़ी की हो जाएंगी. इस घटना के बाद ही शिव जी ने जलंधर राक्षस का वध किया था. तुलसी के पति का शिव जी द्वारा वध किए जाने के कारण ही उनकी पत्तियों को भोले शंकर की पूजा अर्चना में नहीं इस्तेमाल किया जाता है. और आपको बता दें कि तुलसी की पत्तियों के अलावा शंख, नारियल, कमल, लाल रंग के फूल, भी बाबा भोलेनाथ को नहीं अर्पित किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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