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Shukra Pradosh Vrat पर पर करें इस स्तोत्र का पाठ, सुख-समृद्धि से भरा रहेगा जीवन

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 10 मई को शाम को 5 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार यह व्रत 9 मई को रखा जाएगा. 

Shukra Pradosh Vrat पर पर करें इस स्तोत्र का पाठ, सुख-समृद्धि से भरा रहेगा जीवन
इस दिन आप दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ करते हैं तो व्रत का फल दोगुना हो सकता है.

Pradosh vrat 2025 : साल में कुल 24 प्रदोष होते हैं यानी हर महीने 2. पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर. यह भगवान शिव को समर्पित व्रत है.आपको बता दें कि अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्व होता है. मई महीने में पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन है, जिसे भ्रुगुवारा प्रदोष भी कहते हैं. यह 9 मई को रखा जाएगा. यह प्रदोष व्रत रखने से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. मान्यता है शुक्र प्रदोष व्रत करने से हर काम में सफलता मिलती है. इस दिन आप कुछ खास स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे व्रत का फल दोगुना हो सकता है. आइए जानते हैं दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र...

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र -  Daridra Dahan Shiv Stotra

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्‌र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥
श्रीशिवरक्षास्तोत्र
चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥1॥
गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥
गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।
नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥
घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥
हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।
उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।
चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥
एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥
ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥
अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥
ॐ जय शिव ओंकारा...

कब है शुक्र प्रदोष व्रत 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 10 मई को शाम को 5 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार यह व्रत 9 मई को रखा जाएगा. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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