Ravivar Vrat: रविवार का व्रत कितना और कैसे किया जाता है, जानिए सूर्य देव की पूजा के नियम

Ravivar Vrat: रविवार (Ravivar) का दिन भगवान सूर्य को समर्पित माना गया है. इस दिन भक्त सूर्य देव की उपासना करते हैं. शास्त्रों में रविवार व्रत के खास नियम बताए गए हैं.

Ravivar Vrat: रविवार का व्रत कितना और कैसे किया जाता है, जानिए सूर्य देव की पूजा के नियम

Ravivar Vrat: रविवार के व्रत में भगवान सूर्य की पूजा होती है.

खास बातें

  • रविवार व्रत के बताए गए हैं खास नियम.
  • रविवार के व्रत सूर्य देव की होती है पूजा.
  • रविवार को रखा जाता है व्रत.

Ravivar Vrat: सप्ताह का प्रत्येक किन किसी ना किसी भगवान को समर्पित है. रविवार (Ravivar) का दिन भगवान सूर्य (Surya Dev) को समर्पित माना जाता है. इस दिन भक्त सूर्य देव की उपासना (Surya Dev Worship) करते हैं. साथ ही इस दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है. इसके अलावा कई लोग रविवार का व्रत (Ravivar Vrat) भी रखते हैं. मान्यता है कि रविवार का व्रत (Ravivar Vrat Vidhi) करने से इच्छा पूरी होती है और सूर्य देव की आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कि रविवार का व्रत (Sunday Vrat) क्यों और कितना रखा जाता है. 


कितने रविवार रखे जाते हैं व्रत

रविवार व्रत के बारे में मान्यता है कि इसे एक साल में 30 या 12 रविवारों तक रखना चाहिए. कहा जाता है कि रविवार व्रत के दौरान एक समय ही भोजन करना चाहिए. भोजन में नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके अलावा इस दिन सूर्यास्य के बाद भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. रविवार के व्रत के दौरान व्रती चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाते हैं. 


क्यों रखा जाता है रविवार का व्रत

मान्यता है कि रविवार के व्रत से सेहत अच्छी रहती है. साथ ही तेजस्विता प्राप्त होती है. कहा जाता है कि जो कोई रविवार का व्रत रखकर व्रत कथा का पाठ करते हैं, उनकी इच्छाएं पूरी होती है. साथ ही मान-सम्मान, यश और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें रविवार का व्रत करने से लाभ मिलता है. 

सूर्य देव की पूजा के नियम क्या हैं

सूर्य देव की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है. इसके बाद सूर्य देव को तीन बार अर्घ्य देकर स्नान किया जाता है. सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए शुद्ध तांबे के लोटे में जल भरा जाता है. उसमें लाल फूल, अक्षत मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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