Pradosh Vrat February: भगवान शिव के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव का पूजन किया जाए तो प्रभु प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और उनके कष्टों का निवारण करते हैं. पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत रखने पर दीर्घायु और आरोग्यता का वरदान भी मिलता है. ऐसे में यहां जानिए किस तरह प्रदोष व्रत पर भगवान शिव (Lord Shiva) का पूजन किया जा सकता है, इस दिन कौनसा शुभ योग बन रहा है और किस तरह प्रसन्न होते हैं महादेव.
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रवि प्रदोष व्रत तिथि, पूजा विधि और शुभ योग | Ravi Pradosh Vrat Date, Puja Vidhi, Shubh Yog
फरवरी माघ का महीना है. इस माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी, रविवार की रात 7:25 बजे शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 10 फरवरी 6:57 बजे हो जाएगा. प्रदोष काल (Pradosh Kaal) की पूजा रात्रि में प्रदोष काल के दौरान होती है. ऐसे में 9 फरवरी के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है.
प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है. ऐसे में रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 09 फरवरी की रात 7:25 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में महादेव की पूजा-आराधना की जा सकती है.
बन रहे हैं शुभ योग | Pradosh Vrat Shubh Yogप्रदोष व्रत के दिन विशेष योग बनने जा रहे हैं. इस दिन प्रीति योग और त्रिपुष्कर योग बनने जा रहा है. प्रदोष व्रत के दिन इन दोनों ही योगों का निर्माण होना बेहद शुभ संकेत माना जा रहा है.
भगवान शिव की प्रदोष व्रत के दिन पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना करने के लिए सुबह के समय जल्दी उठें. स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और महादेव का ध्यान करके व्रत का संकल्प ले लें. प्रदोष व्रत के दिन सुबह के समय शिव मंदिर दर्शन करने जाया जा सकता है परंतु प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय की जाती है. रात्रि में प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित करें. इसके बाद शिव-गौरी की पूजा करें.
पूजा में शिवलिंग पर फल, आक के फूल, बेलपत्र, शहद और धतूरा आदि अर्पित किया जाता है. शिवलिंग के समक्ष दीप और धूप जलाना भी शुभ होता है. शिव चालीसा का पाठ की जाता है, शिव मंत्रों (Shiv Mantra) का जाप होता है और भगवान शिव की आरती करके भोग लगाने के बाद पूजा विधि संपन्न होती है. इस तरह प्रदोष व्रत की पूजा समाप्त होती है और भगवान शिव से खुशहाली की कामना की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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