Rangbhari Ekadashi 2023: 3 मार्च को मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी, जानें क्यों मानी जाती है सुहाग के लिए वरदान?

Rangbhari Ekadashi 2023: रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. रंगभरी एकादशी को सुहाग की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन यह एक मात्र ऐसी एकादशी है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है.

Rangbhari Ekadashi 2023: 3 मार्च को मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी, जानें क्यों मानी जाती है सुहाग के लिए वरदान?

रंगभरी एकादशी 2023 (Image credit: Getty)

खास बातें

  • रंगभरी एकादशी क्यों मानी जाती है सुहाग के लिए वरदान?
  • रंगभरी एकादशी की पूजन विधि और महत्व
  • रंगभरी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा

Rangbhari Ekadashi 2023: रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी, आंवला एकादशी और आमलका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है. रंगभरी एकदशी अकेली ऐसी एकादशी है जिसका भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर से भी संबंध है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिवजी माता पार्वती को पहली बार काशी में लेकर आए थे. अत: यह एकादशी बाबा विश्वानाथ की नगरी वाराणसी के भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. 

रंगभरी एकादशी की तिथि
इस साल रंगभरी एकादशी 3 मार्च 2023 को मनाई जाएगी. रंगभरी एकादशी के दिन से ही वाराणसी में रंगों उत्सव का आगाज होता है जो लगातार 6 दिनों तक चलता है. 

रंगभरी एकादशी का पूजा मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 2 मार्च दिन, गुरुवार (गुरुवार के उपाय) को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से हो रहा है. तो वहीं, इसका समापन 3 मार्च, दिन शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगा. 

रंगभरी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा 
रंगभरी एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और फिर व्रत का संकल्प लें. अब भगवान शिव और माता पार्वती को फल, बेल पत्र, कुमकुम, रोली, पंच मेवा और अक्षत अर्पित करें. माता गौरी को सोलह श्रीनगर भी भेंट करें. इसके बाद भगवान को रंग-गुलाल अर्पित करें. दीपक और कपूर से आरती करें, साथ ही भगवान को मिष्‍ठान का भोग लगाएं. 

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रंगभरी एकादशी का महत्व
माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने और उन्हें गुलाल आदि लगाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है. पति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.