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This Article is From Apr 19, 2024

प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जाप करना माना जाता है बेहद शुभ, मान्यतानुसार भोलेनाथ हो जाते हैं प्रसन्न 

माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं सुनते हैं. 

प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जाप करना माना जाता है बेहद शुभ, मान्यतानुसार भोलेनाथ हो जाते हैं प्रसन्न 
रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. 

Ravi Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव का पूजन किया जाए तो भोलेनाथ प्रसन्न होकर घर-परिवार को आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं सुनते हैं. पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की जाती है. साथ ही, पूजा में कुछ मंत्रों का जाप करना भी बेहद शुभ माना जाता है. 

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल की रात 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 22 अप्रैल की रात 1 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते 21 अप्रैल, रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) शाम 6 बजकर 51 मिनट से रात 9 बजकर 2 मिनट के बीच है. रविवार के दिन पड़ने के चलते इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. 

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प्रदोष व्रत के मंत्र | Pradosh Vrat Mantra

शिव आरोग्य मंत्र

माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव गायत्री मंत्र

ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

शिव स्तुति मंत्र

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

शीघ्र विवाह के लिए मंत्र

  • ह्रीं गौर्य नमः
  • है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
  • तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
  • हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
  • तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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