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This Article is From Oct 25, 2023

Pradosh Vrat: कल रखा जाएगा अक्टूबर का आखिरी प्रदोष व्रत, जानिए किस मुहूर्त में और कैसे करें पूजा

Guru Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का विशेष धार्मिक महत्व होता है. इस दिन पूजा-आराधना करने पर माना जाता है कि भगवान शिव भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. 

Pradosh Vrat: कल रखा जाएगा अक्टूबर का आखिरी प्रदोष व्रत, जानिए किस मुहूर्त में और कैसे करें पूजा
Pradosh Vrat October: प्रदोष व्रत में की जाती है महादेव की पूजा. 

Pradosh Vrat 2023: अक्टूबर महीने का आखिरी प्रदोष व्रत कल 26 अक्टूबर, गुरुवार के दिन रखा जाएगा. गुरुवार के दिन पड़ने के चलते इसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं. हर माह 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं जिनमें एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है. यह प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में रखा जाएगा. मान्यातानुसार, प्रदोष व्रत रखने पर और शिव पूजा करने पर भक्तों के जीवन के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं, भोलेनाथ अपने भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. कहते हैं इस व्रत को रखने पर दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है. जानिए गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. 

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गुरु प्रदोष व्रत की पूजा | Guru Pradosh Vrat Puja 

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर, गुरुवार की सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 27 अक्टूबर, शुक्रवार सुबह 6 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा. शुभ मुहूर्त के अनुसार, प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर के दिन ही रखा जाएगा. 

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में की जाती है. ऐसे में गुरुवार शाम 5 बजकर 41 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक प्रदोष काल है जिसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना मंगलकारी माना जाता है. 

पूजा करने के लिए सुबह-सवेरे उठकर निवृत्त होकर स्नान किया जाता है और स्वच्छ कपड़े पहने जाते हैं. इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. सुबह के समय भक्त शिव मंदिर हो आते हैं लेकिन असल पूजा रात के समय प्रदोष काल में ही होती है. पूजा करते समय बेलपत्र, चंदन, धूप, दीया और अक्षत आदि को पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है. शिव शंकर (Lord Shiva) के साथ ही माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है. माता पार्वती पर चुनरी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित की जाती है. आरती के बाद भोग लगाया जाता है और प्रसाद बांटकर पूजा का समापन होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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