Pradosh Vrat: भाद्रपद मास का दूसरा प्रदोष व्रत इस महीने रखा जाएगा. प्रदोष व्रत पर मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की जाती है और माना जाता है कि भोलेनाथ यह व्रत रखने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनपर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. पंचांग के अनुसार, माह में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं जिनमें से एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में रखा जाता है. जानिए सितंबर माह में भाद्रपद के दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा विधि.
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भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत
इन महीने वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 सितंबर, बुधवार की सुबह 1 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और रात 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस चलते प्रदोष व्रत 27 सितंबर के दिन ही रखा जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) भी कहते हैं. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस प्रदोष व्रत में मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है.
बुध प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में की जा सकती है. प्रदोष काल का समय इस दिन शाम 6 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 36 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह के समय स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद शिव मंदिर जाकर या घर के मंदिर में ही पूजा की जाती है. पूजा के लिए गंगाजल, दूध, बेलपत्र, चंदन और अक्षत आदि शिवलिंग पर अर्पित किए जाते हैं. इस व्रत में शिवजी के मंत्रों का जाप किया जाता है. इस दिन भगवान शिव की आरती और कथा आदि सुने व गाए जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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