
Period during pilgrimage: हिंदू धर्म में पीरियड के दौरान पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने की मनाही होती है. आमतौर पर महिलाएं पीरियड के समय पूजा नहीं करती हैं लेकिन कभी कभी तीर्थयात्रा के दौरान पीरियड आने (Thirt Yatra Me Period Aane Par Kya Kare) पर वे किसी खास मंदिर में प्रभु के दर्शन से वंचित रह जाती है. हाल ही में वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के सामने एक महिला ने यह सवाल रखा. इंस्टाग्राम पर bhajanmarg_official ने इस बातचीत को शेयर किया है. आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल पर क्या कहा( Premanand Maharaj Ki Salah) और तीर्थयात्रा के दौरान पीरियड आने पर महिलाओं को दर्शन करना चाहिए या नहीं ( Period Me Bhagwan ka Darshan Karna Chahiye).
क्या था सवाल
भक्त समागम के दौरान एक महिला प्रेमानंद महाराज से पूछा, ‘बहुत सारी महिलाएं जो धार्मिक यात्रा पर आती हैं, और मासिक धर्म हो जाता है. ऐसे में महिलाएं तय नहीं कर पाती हैं कि इतनी मुश्किल से तीर्थ पर पहुंचने के बाद उन्हें क्या करना चाहिए. भारत में पीरियड के दौरान पूजा पाठ करने या दर्शन करने को लेकर अधिकतर महिलाओं के मन में इस तरह के संशय रहते हैं.
प्रेमानंद महाराज ने क्या दी सलाह
इस सवाल पर प्रेमानंद जी ने कहा, किसी तीर्थयात्रा पर दर्शन करने का सौभाग्य तो नहीं छोड़ना चाहिए. महिलाओं में मासिक धर्म एक शारीिरक प्रक्रिया है और यह सभी माताओं बहनों के शरीर में स्वाभाविक रूप से आती है. किसी तीर्थ पर जाना सरल नहीं होता है. लोग पैसा लगाकर और शारीरिक कष्ट उठाकर तीर्थ पर पहुंचते हैं. ऐसे में दर्शन लाभ नहीं छोड़ना चाहिए.
प्रेमानंद महाराज के अनुसार क्या करें
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि ऐसी स्थिति आने पर स्नान करके और भगवत प्रसादी चंदन लगाकर भगवन दर्शन कर लेना चाहिए. हालांकि दर्शन दूर से ही करना चाहिए और किसी प्रकार की सेवा या सामग्री नहीं चढ़ाना चाहिए और स्पर्श भी नहीं करना चाहिए.
मासिक धर्म निंदनीय नहीं
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि महिलाओं को हर माह आने वाला मासिक धर्म कोई निंदनीय बात नहीं है, बल्कि ये तो वंदनीय बात है. उन्होंने बताया, महिलाओं ने देवराज इंद्र की ब्रह्म हत्या को अपने ऊपर लिया है. वे अपराधी नहीं है. देवराज इंद्र के वृतासुर का वध करने पर उन पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था. ब्रह्म ऋषियों इंद्र को इससे बचाने के लिए इस पाप को विभाजित कर दिया. इसका पहला भाग नदी को दिया, जो नदियों पर फेन बुदबुदा के रूप में ऊपर आते रहते हैं. दूसरा भाग वृक्षों को दिया गया और यह पेड़ों पर गोंद के रूप में होता है, तीसरा भागभूमि को दिया जो बंजर भूमि के रूप में होता है. चौथा भाग माताओं-बहनों को दिया जो मासिक धर्म के रूप में होता है. प्रेमानंद महाराज ने कहा महिलाओं के लिए मासिक धर्म निंदनीय नहीं, बल्कि वंदनीय बात है. उन्होंने त्रिभुवन पति देवराज इंद्र के इस पाप को अपने ऊपर लिया है.

Photo Credit: Bhajan Marg Official Instagram
जीवन की समस्याओं का हल
वृंदावन के प्रेमानंद महाराज अक्सर भक्तों को जीवन में आने वाली समस्याओं का सहज हल बताते हैं. भक्त अपने जीवन में आने वाली तरह तरह की समस्याओं का हल प्रेमानंद जी महाराज से जानना चाहते हैं और प्रेमानंद महाराज उन्हें हल सुझाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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