
Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है. यह व्रत वर्ष की सभी 24 एकादशियों के बराबर फल प्रदान करता है. 2025 में यह व्रत 6 जून, शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दिन व्रती दिनभर बिना जल ग्रहण किए उपवास करते हैं, इसलिए इसे "निर्जला" कहा जाता है. इस बार की निर्जला एकादशी बेहद खास है क्योंकि इस दिन तीन अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं, शुक्रवार का दिन, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग. इन योगों के बनने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार का व्रत कुछ राशियों के लिए विशेष शुभ फलदायक होगा.
विशेष संयोग और महत्त्व1. शुक्रवार का दिन: शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है. ऐसे में अगर निर्जला एकादशी इस दिन पड़ जाए तो मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. व्रत करने वाले जातकों को आर्थिक रूप से लाभ होता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है.
2. रवि योग: यह एक अत्यंत शुभ योग है, जो किसी भी कार्य को सफल बनाता है. अगर कोई कार्य इस योग में किया जाए तो उसमें सफलता निश्चित मानी जाती है.
3. सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कोई इच्छा अधूरी है, तो इस योग में की गई प्रार्थना और व्रत के माध्यम से वह पूर्ण हो सकती है.

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इस बार की निर्जला एकादशी मेष, मिथुन और सिंह राशियों के लिए विशेष फलदायक मानी जा रही है.
• मेष राशि: इस राशि वालों के लिए यह समय आर्थिक लाभ का है. रुका हुआ धन वापस मिल सकता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी. समाज में मान सम्मान भी बढ़ेगा.
• मिथुन राशि: इस राशि के जातकों की आर्थिक समस्या दूर हो सकती है. व्यापार में लाभ होगा और पुराने निवेश का अच्छा रिटर्न मिल सकता है.
• सिंह राशि: नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक अच्छा समय है. पदोन्नति या नया अवसर मिल सकता है. संपत्ति से जुड़े विवाद भी सुलझ सकते हैं.
निर्जला एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. घर में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. पूरे दिन जल तक ग्रहण न करें और ईश्वर का ध्यान करें. रात को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें. अगले दिन यानी 7 जून को व्रत का पारण दोपहर 1:44 से 4:31 बजे के बीच करें.
इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. जरूरतमंदों को अन्न, जल, वस्त्र, पंखा, घड़ा आदि दान करें. ऐसा करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
प्रस्तुति: रोहित कुमार
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है
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