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This Article is From Oct 16, 2023

Navratri 2nd Day: मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी, जानें पूजा विधि, मंत्र और आरती

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं देवी दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा विधि, मंत्र और आरती.

Navratri 2nd Day: मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी, जानें पूजा विधि, मंत्र और आरती
Navratri Day 2 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा ऐसे करें, ये है मां की आरती और मंत्र.

Maa Bhrahmacharini Puja: हर साल आश्विन महीने की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि पर्व की शुरूआत होती है. नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त मां की पूजा पूरी विधि-विधान से करते हैं. साथ ही मां के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों के दौरान मां अपने हर उपासक की मनोकमना पूरी करती हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इनकी पूजा से जुड़ी जरूरी बातें और मान्यता हम आपको आर्टिकल में बताने वाले हैं.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Maa Bhrahmacharini Puja)

मां दुर्गा की दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी सिद्धि और सफलता की प्रतीक मानी जाती है. इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है. इस दिन पूजा के समय आपको हरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. पूजा के समय पीले या सफेद रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें. मां का अभिषेक पंचामृत से करें और रोली, अक्षत, चंदन, जैसी चीजों का भोग लगाएं. मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें चीनी और पंचामृत का भी भोग लगा सकते हैं. मां को गुड़हल और कमल का फूल पसंद है.

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मां ब्रह्मचारिणी मंत्र

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं भ्रामचारिह्य नमः

  • या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः  (108 बार जाप करें)

  • ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः

मां ब्रह्मचारिणी से जुड़ी मान्यता

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब माता पार्वती भगवान शिव को अपना वर बनाने के लिए तपस्या पर बैठी थी तो उन्होंने सब कुछ त्याग करके ब्रह्मचर्य अपना लिया था. मां के इसी रूप को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. दुर्गा मां की इस रूप की पूजा अविवाहित देवी के रूप में किया जाता है. इनके एक तरफ कमंडल होता है और दूसरी तरफ जप माला होती है. मां को सरलता, शांति और सौम्य रूप में पूजा जाता है. 

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मां ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता । 
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। 
ज्ञान सभी को सिखलाती हो। 
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा । 
जिसको जपे सकल संसारा। 
जय गायत्री वेद की माता । 
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। 
कमी कोई रहने न पाए। 
कोई भी दुख सहने न पाए। 
उसकी विरति रहे ठिकाने । 
जो तेरी महिमा को जाने । 
रुद्राक्ष की माला ले कर । 
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर आलस छोड़ करे गुणगाना। 
मां तुम उसको सुख पहुंचाना। 
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। 
पूर्ण करो सब मेरे काम। 
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। 
रखना लाज मेरी महतारी।

                                                                                                                 (प्रस्तुति-अंकित श्वेताभ)

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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