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This Article is From Oct 03, 2019

Navratri 2019 Day 5: नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाती हैं स्‍कंदमाता,जानिए पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

Navratri 2019: स्‍कंदमाता की चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से उन्‍होंने स्कंद को गोद में पकड़ा हुआ है. नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है. बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है.

Navratri 2019 Day 5: नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाती हैं स्‍कंदमाता,जानिए पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता पूजी जाती हैं...
नई दिल्ली:

नवरात्रि (Navratri 2019) के पांचवें दिन स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा की जाती है. स्‍कंदमाता को वात्‍सल्‍य की मूर्ति माना जाता है. मान्‍यता है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्‍ति होती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं में स्‍कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्‍ठात्री देवी हैं. कहते हैं कि जो भक्‍त सच्‍चे मन और पूरे विधि-विधान से स्‍कंदमाता की पूजा करता है उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. 

कौन हैं मां स्कंदमाता?
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार देवी स्‍कंदमाता ही हिमालय की पुत्री हैं और इस वजह से इन्‍हें पार्वती कहा जाता है. महादेव की पत्‍नी होने के कारण इन्‍हें माहेश्‍वरी भी कहते हैं. इनका वर्ण गौर है इसलिए इन्‍हें देवी गौरी के नाम से भी जाना जाता है. मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्‍हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है. भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्‍कंदमाता पड़ा. स्‍कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं. इस वजह से पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. 

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स्‍कंद माता का रूप
स्‍कंदमाता की चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से उन्‍होंने स्कंद को गोद में पकड़ा हुआ है. नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है. बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. इनका वर्ण एकदम गौर है. ये कमल के आसन पर विराजमान हैं और इनकी सवारी शेर है. 

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कैसे करें स्कंदमाता की पूजा
- नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. 
- अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें. 
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें. 
- अब एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें. 
- अब पूजा का संकल्‍प लें. 
- इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें. 
- अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें. 
- आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें.
- स्‍कंद माता को सफेद रंग पसंद है. आप श्‍वेत कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं. मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं.

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ध्यान
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

कवच
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

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स्‍कंदमाता की आरती
जय तेरी हो अस्कंध माता 
पांचवा नाम तुम्हारा आता 
सब के मन की जानन हारी 
जग जननी सब की महतारी 
तेरी ज्योत जलाता रहू मै 
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै 
कई नामो से तुझे पुकारा 
मुझे एक है तेरा सहारा 
कही पहाड़ो पर है डेरा 
कई शेहरो मै तेरा बसेरा 
हर मंदिर मै तेरे नजारे 
गुण गाये तेरे भगत प्यारे 
भगति अपनी मुझे दिला दो 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 
इन्दर आदी देवता मिल सारे 
करे पुकार तुम्हारे द्वारे 
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये 
तुम ही खंडा हाथ उठाये 
दासो को सदा बचाने आई 
'भक्त' की आस पुजाने आई

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