गोपेश्वर:
उत्तराखंड के चमोली जिले मे स्थित पौराणिक आदिबदरी मंदिर में भगवान को नये अनाज का भोग लगाने के लिये ‘नौठा कौथिग मेले’ का आयोजन हुआ जिसमें शामिल होने मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहुंचे।
जिले के कर्णप्रयाग-गैरसैंण मोटर मार्ग पर आदिबदरी गांव में भगवान बदरीविशाल का प्राचीन मन्दिर है जिसके बारे में मान्यता है कि वर्तमान बदरीनाथ से पहले भगवान नारायण बदरीविशाल की पूजा इसी धाम में होती थी।
आदिबदरी में भगवान बदरीविशाल की नये अनाज के भोग के लिए हर साल ‘नौठा कौथिग मेले’ का आयोजन होता है जिसमें क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग इस मेले में शामिल होते हैं। पहले यहां जेठ माह के पहले सोमवार को भगवान को भोग लगाने में पहला नम्बर पाने के लिये गांवों के बीच आपसी संघर्ष होता था।
माना जाता है कि इस आपसी लड़ाई की विजेता टीम के गांव को भगवान का भोग लगाने का पहला अधिकार मिलता था। आज यह परम्परा प्रतीकात्मक रूप से निभायी गई और आसपास के सभी गांवों के लोगों ने मिलकर भोग पूजा सम्पन्न करायी।
मुख्यमंत्री रावत ने भी आदिबदरी मंदिर में भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना की। उसके बाद वह नौठा कौथिग मेले में शामिल हुए।
जिले के कर्णप्रयाग-गैरसैंण मोटर मार्ग पर आदिबदरी गांव में भगवान बदरीविशाल का प्राचीन मन्दिर है जिसके बारे में मान्यता है कि वर्तमान बदरीनाथ से पहले भगवान नारायण बदरीविशाल की पूजा इसी धाम में होती थी।
आदिबदरी में भगवान बदरीविशाल की नये अनाज के भोग के लिए हर साल ‘नौठा कौथिग मेले’ का आयोजन होता है जिसमें क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग इस मेले में शामिल होते हैं। पहले यहां जेठ माह के पहले सोमवार को भगवान को भोग लगाने में पहला नम्बर पाने के लिये गांवों के बीच आपसी संघर्ष होता था।
माना जाता है कि इस आपसी लड़ाई की विजेता टीम के गांव को भगवान का भोग लगाने का पहला अधिकार मिलता था। आज यह परम्परा प्रतीकात्मक रूप से निभायी गई और आसपास के सभी गांवों के लोगों ने मिलकर भोग पूजा सम्पन्न करायी।
मुख्यमंत्री रावत ने भी आदिबदरी मंदिर में भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना की। उसके बाद वह नौठा कौथिग मेले में शामिल हुए।