
Kumbhkudam temple : दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम से 5 किलोमीटर दूर ऐरावतेश्वर मंदिर है. यह भगवान शिव को समर्पित है, जिसे 12वीं शताब्दी में बनाया गया था. यह मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी वास्तुकला भी लोगों को खूब आकर्षित करती है. इस मंदिर का निर्माण राजा चोल द्वितीय ने करवाया था. इस मंदिर की सीढ़ियों से निकलने वाली ध्वनियां दूसरे मंदिर से अलग बनाती है. इसके अलावा क्या कुछ खास है इस मंदिर के बारे में आइए जानते हैं.
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एरावतेश्वर मंदिर की क्या है खासियत - What is special about Airavatesvara temple?
सबसे पहले इस मंदिर के नाम की बात करते हैं. मान्यता है इस मंदिर का नाम एरावतेश्वर इसलिए रखा गया क्योंकि यहां पर सबसे पहले पूजा इंद्र देव के सफेद हाथी ऐरावत ने की थी.

Photo Credit: instagram/dhev_photography
इस मंदिर में पत्थर की शानदार नक्काशी देखने को मिल जाएगी. इस मंदिर में आपको द्राविड़ कला शैली की भी झलक देखने को मिलेगा. इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव के अलावा इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना जैसे भगवान की मूर्तियां भी यहां आपको मिल जाएंगी. हालांकि समय के साथ यहां के कुछ हिस्सों में दरारें आ गईं हैं, तो कुछ टूट गए हैं, लेकिन बाकी के हिस्से मजबूती के साथ खड़े हैं.
सरगम के 7 सुर सीढ़ियों पर हैं बजते
एक और खास चीज इस मंदिर को दूसरों से अलग बनाती है, वो है मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक पत्थर की सीढ़ी, जिसके हर कदम पर अलग-अलग ध्वनि निकलती है. आप यहां सरगम के 7 सुर आसानी से सुन सकते हैं.

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कैसे पहुंचे एरावतेश्वर
यह मंदिर शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं, हवाई अड्डे से 70 किलोमीटर है.आप यहां पर ट्रेन के माध्यम से भी आ सकते हैं. आप यहां पर शहर से आटो या फिर कैब से भी आ सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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