पाकिस्तान के इन मंदिरों में बन रहे हैं ताजिया, तीन पीढ़ियों से हिंदू समुदाय बना रहे हैं मुहर्रम को खास
नई दिल्ली:
Muharram 2018: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल जब भी देखने को मिलती है तो गर्व महसूस होता है. चाहे भारत हो या पाकिस्तान, दोनों ही देशों में ऐसे लोग मौजूद हैं जो इस एकता को बनाए रखने में काम कर रहे हैं. इस बात की एक मिसाल पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों में देखी जा सकती है जहां मंदिरों के प्रांगण में ताजिया तैयार किए जा रहे हैं. ये ताजिया मोहर्रम के नौवें और 10वें दिन निकाले जाने वाले आशूरा के जुलूस का अहम हिस्सा होते हैं.
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मोहर्रम में करबला में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया जाता है. पुराने कराची शहर इलाके में कम से कम दो प्राचीन हिंदू मंदिरों में हिंदू समुदाय पूरे जोश एवं उत्साह से ताजिया बनाता है. ये ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते हैं और आशूरा के जुलूस का अभिन्न हिस्सा होते हैं.
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कराची के हिंदू बहुल नारायणपुरा इलाके के एक हिंदू राजेश ने कहा, "हम पिछली तीन पीढ़ियों से ये ताजिया बना रहे हैं और इस पर हम गर्व महसूस करते हैं." अकबर रोड पर कुछ मील दूरी पर बने 100 साल पुराने मरीमाता मंदिर के प्रांगण में हिंदू समुदाय ने एक शानदार ताजिया बनाने के लिए दिन-रात काम किया.
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इस प्राचीन मंदिर के प्रांगण का एक हिस्सा हर साल ताजिया बनाने के लिए आरक्षित रखा जाता है.
VIDEO: बिहार के इस गांव में हिन्दू मनाते हैं मुहर्रम
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कराची के हिंदू बहुल नारायणपुरा इलाके के एक हिंदू राजेश ने कहा, "हम पिछली तीन पीढ़ियों से ये ताजिया बना रहे हैं और इस पर हम गर्व महसूस करते हैं." अकबर रोड पर कुछ मील दूरी पर बने 100 साल पुराने मरीमाता मंदिर के प्रांगण में हिंदू समुदाय ने एक शानदार ताजिया बनाने के लिए दिन-रात काम किया.
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