Matsya Jayanti 2022: मत्स्य जयंती पर मान्यतानुसार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि मत्स्य ही भगवान विष्णु का प्रथम रूप थे. मत्स्य का अर्थ होता है मछली. विष्णु पुराण के अनुसार, सृष्टि की शुरुआत के अगले दिन ही भगवान विष्णु मत्स्य रूप में अवतरित हुए थे. पौराणिक कथाओं में विष्णु भगवान को कार्तिक मास में जल में मत्स्य रूप में निवास करते हुए बताया गया है, जिस कारण बहुत से भक्त इस माह में मत्स्य यानी मछली का सेवन नहीं करते.
मत्स्य जयंती पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी Koo App के माध्यम से भक्तों को शुभकामनाएं दी हैं.
मत्स्य जयंती का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 3 अप्रैल से शुरू होकर अगले दिन 4 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर खत्म होगी.
मत्स्य जयंती (Matsya Jayanti) को इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ के बाद ये भगवान विष्णु का पहला अवतार था. कहते हैं शुरुआत में सृष्टि जल से लबालब थी और इस समय केवल भगवान विष्णु ही थे जिन्होंने समुद्र से मिट्टी लाकर स्थल बनाया था. इस चलते सृष्टि के निर्माण के साथ-साथ थल निर्माता मत्स्य भगवान के लिए मत्स्य जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना होती है.
मत्स्य जयंती पर पूजाभक्त मत्स्य जयंती पर मान्यतानुसार व्रत रखते हैं. व्रत एक दिन पहले शुरू होता है और मत्स्य जयंती के दिन तोड़ा जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है. मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से उनके मंदिर जाते हैं. मत्स्य भगवान (Matsya Bhagwan) को समर्पित एक ही जाना-माना मंदिर है जो आंध्र प्रदेश में स्थित है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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