
Mahalaya 2025: पंचांग के अनुसार आज पितृपक्ष का आखिरी दिन महालया है. आज 15 दिन बाद पितरों की विधि-विधान से श्राद्ध-तर्पण आदि करते हुए उन्हें विदा कर दिया जाएगा. महालया के दिन जहां जाने-अनजाने पितरों का श्राद्ध करने के बाद इस पावन पक्ष का समापन होता है, वहीं यह दिन शक्ति की साधना के लिए बिठाए जाने वाले कलश से पूर्व देवी के आगमन के स्वागत का भी होता है.
महालया के अगले दिन से शक्ति की साधना का 9 दिनी महापर्व प्रारंभ होता है, जिसमें देवी के साधक उनकी तमाम तरह से साधना-आराधना करते हैं, ताकि वे उनके कष्ट को दूर करके सभी मनोकामनाओं को पूरा करें. आइस जानते हैं कि आज पितरों का आशीर्वाद पाने और देवी का स्वागत करते समय क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए.
महालया के दिन क्या करें (Mahalaya me kya karna chahiye)
- हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन पितरों को विदा करने से पहले तक सारे पितृपक्ष से जुड़े सारे नियम का पालन करना चाहिए.
- धर्म शास्त्र के अनुसार पितरों के लिए श्राद्ध हमेशा उचित मुहूर्त यानि दोपहर के समय में ही करना चाहिए. कभी भी सुबह या फिर शाम हो जाने के बाद रात में नहीं करना चाहिए.
- पंचांग के अनुसार आज पितरों के लिए श्राद्ध का सबसे उत्तम कहलाने वाला कुतुप मूहूर्त 11:50 से लेकर दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा.
- अगर आप इस मुहूर्त में किसी कारणवश श्राद्ध न कर पाएं तो रौहिण मूहूर्त में दोपहर 12:38 से लेकर 01:27 बजे के बीच कर सकते हैं.
- आज महालया अमावस्या के दिन श्राद्ध के लिए दोपहर 01:27 से 03:53 बजे तक भी फलदायी रहेगा.
- पितरों की विदाई के बाद क्षौर कर्म यानि बाल-दाढ़ी आदि बनवाकर गंगा स्नान आदि करना चाहिए.
- आज महालया के दिन अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ सूक्त, पितृ कवच, श्रीमद्भगवदगीता का पाठ, श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
- आज के दिन देवी दुर्गा पृथ्वी लोक पर आती हैं, ऐसे में शाम के समय देवी दुर्गा की विशेष पूजा करें.
- महालया के दिन देवी दुर्गा की 9 दिनों तक साधना करने के लिए आज ही शाम तक पूजा का सारा सामान खरीद लाएं.
महालया के दिन क्या न करें (Mahalaya me kya nahi karna chahiye)
- हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन पितृपक्ष में निषेध बताए गये कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
- श्राद्धकर्ता को पितरों की पूजा करते समय उन्हें भूलकर भी कोसना नहीं चाहिए.
- पितरों की पूजा की सामगी को किसी गलत स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए बल्कि उसे जल तीर्थ में ही प्रवाहित करना चाहिए.
- पितरों का श्राद्ध अपने घर में या फिर किसी तीर्थ स्थान पर ही करना चाहिए. कभी दूसरे की भूमि या मकान में पितरों का श्राद्ध न करें.
- महालया के दिन अपना घर गंदा नहीं रखना चाहिए और न ही गंदे कपड़े पहनने चाहिए. इस दिन तन और मन से पवित्र होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- महालया के दिन तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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