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This Article is From Jul 07, 2016

चांद नहीं तो ईद नहीं, जानिए क्या कनेक्शन है ईद-उल-फितर का चांद से...

चांद नहीं तो ईद नहीं, जानिए क्या कनेक्शन है ईद-उल-फितर का चांद से...
फाइल फोटो
जब भी ईद की बात होती है, शिराकोरमा यानी सेवइयों का जिक्र जरूर होता है। लेकिन उससे पहले जिक्र आता है ईद के चांद का, जो रमजान के 30वें रोज़े के बाद ही दिखता है।

इस्लामिक कैलेण्डर (हिजरी कैलेण्डर) के अनुसार ईद साल में दो बार मनाई जाती है, ये हैं: ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को केवल ईद भी कहते हैं। यह मीठी ईद भी कही जाती है, जबकि ईद-उल-जुहा, बकरीद के नाम से भी अधिक लोकप्रिय है।

गौरतलब है कि ईद-उल-फ़ितर के लिए इस साल देश के कुछ हिस्सों में चांद पहले देखा गया, लिहाजा वहां ईद पहले मनाई गई, जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में ईद आज मनाई जा रही है।

आखिर क्या कनेक्शन है ईद का, चांद से...
ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल (शव्वाल उल-मुकरर्म) की पहली तारीख को मनाई जाती है। गौरतलब है कि हिजरी कैलेण्डर की शुरुआत इस्लाम की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना से मानी जाती है, जब हज़रत मुहम्मद ने मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत (प्रवास) किया था।

हिजरी संवत चांद पर आधारित कैलेण्डर है। इस संवत के बाकी के अन्य महीनों की तरह शव्वाल महीना भी ‘नया चाँद’ देख कर ही शुरू होता है।

यदि इस महीने का पहला चांद नजर नहीं आता है, तो माना जाता है कि रमजान का महीना मुकम्मल होने में कुछ कसर है, लिहाजा ईद अगले दिन मनाई जाती है। इस्लाम के तारीखी पन्ने बताते हैं कि पहली ईद सन 624 ईस्वी में जंग-ए-बद्र की लड़ाई के बाद मनाई गई थी।

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